सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अरुण मिश्रा ने 3 दिसंबर को वकील से गरमागरमी पर खेद प्रकट किया है। उन्होंने कहा है कि वह इस बहसबाजी पर माफी मांगना चाहते हैं लेकिन घमंड सुप्रीम कोर्ट को तबाह कर रहा है। जस्टिस अरुण मिश्राने कहा है कि अगर किसी को भी मेरी बातों ने आहत किया है तो मैं दोनों हाथ जोड़कर उनसे माफी मांगता हूं।

दरअसल 3 दिसंबर को जमीन अधिग्रहण से जुड़े एक केस में सुनवाई के दौरान जस्टिस मिश्रा की सीनियर वकील गोपाल शंकरनारायण के साथ तीखी बहस हो गई थी। यह बहस इस हद तक बढ़ गई कि उन्होंने वकील के खिलाफ अवमानना की धमकी तक दे डाली।

इसके बाद गोपाल शंकरनारायण तुरंत कोर्ट से बाहर आ गए। कोर्ट से बाहर आने पर उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा ‘मैं कोर्ट से बाहर आ गया क्योंकि मैं कोर्ट की गरिमा को और नीचे गिरता नहीं देख सकता था। मैं और बातें कहकर मामले को और ज्यादा नहीं बढ़ाना चाहता था।’

उन्होंने कहा ‘अब तक के करियर में मेरी कई बार आलोचना की जा चुकी है। लेकिन मैं आपको बता दूं कि किसी और जज के मुकाबले मैं बार एसोसिएशन की ज्यादा इज्जत करता हूं। बेंच द्वारा उनके सामने सवाल रखे जाने पर वकीलों को अहंकार नहीं दिखाना चाहिए। मैंने अपने करियर के किसी भी वकील के खिलाफ जज के रूप में कोई अवमानना नहीं की है। अगर किसी को भी मेरी बातों ने आहत किया है तो मैं दोनों हाथ जोड़कर उनसे माफी मांगता हूं।’

जस्टिस अरुण मिश्रा ने आगे कहा ‘मुझे पता है कि मुझसे माफी मांगने के लिए नहीं कहा जा रहा लेकिन अगर मेरी वजह से किसी को कोई नुकसान हुआ है तो मैं माफी मांगता हूं। वह (गोपाल शंकरनारायण) उम्र में मुझसे छोटे हैं। लेकिन मैं कम उम्र के लोगों से भी मांगता हूं। मैं अपनी टिप्पणी पर सौ बार माफी मांगता हूं।’ बता दें कि इस तीखी बहस के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश खन्ना, कपिल सिब्बल, मुकुल रोहतगी ने मामला जस्टिस मिश्रा की बेंच के सामने उठाया था।