अपनी कोर्ट में लंबित एक केस को लेकर टीवी पर इंटव्यू देने वाले जस्टिस को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आड़े हाथ लिया है। सीजेआई के पास शिकायत पहुंची तो उन्होंने गुस्से से भड़कते हुए कहा कि इंटरव्यू देना जजों का काम नहीं है। खासकर जब केस पेंडिंग हो तब ये बात और ज्यादा अहम हो जाती है। उन्होंने कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को चिट्ठी जारी करके कहा है कि वो जज से पूछकर जवाब दाखिल करें।
कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से जवाब तलब
सीजेआई के तेवर इस कदर तल्ख थे कि उन्होंने रजिस्ट्रार जनरल से कहा है कि वो शुक्रवार से पहले अपना जवाब दाखिल करें। सीजेआई के मुताबिक जज ने एक राजनीतिक शख्सियत के खिलाफ इस तरह की बातें कही हैं। बड़ा सवाल ये है कि क्या उन्हें सुनवाई करने दी जाए। उनका कहना था कि पहले जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय को ये बताने दीजिए कि उन्होंने पत्रकार सुमन डे से बात की भी थी या नहीं? सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को टीवी इंटरव्यू की क्लिप भी भेजी है, जिसमें जस्टिस गंगोपाध्याय पत्रकार से अभिषेक बनर्जी पर टिप्पणी करते दिख रहे हैं।
जस्टिस गंगोपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ भी की थी टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट में जज के टीवी पर एक लंबित केस के बारे में बात करने की शिकायत को लेकर अभिषेक मनु सिंघवी पहुंचे थे। सीनियर एडवोकेट ने सीजेआई से कहा कि इंटरव्यू के आखिरी पांच मिनट देखिए। जस्टिस गंगोपाध्याय किस तरह की बात कर रहे हैं। उनका कहना था कि जस्टिस गंगोपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ भी आपत्तिजनक बातें कही थीं। हमारे वकीलों की मौजूदगी में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के जज जो मर्जी करें… क्या ये उनकी जमींदारी है। सिंघवी का कहना था कि अगर ये बात मैंने कही होती तो अवमानना की कार्रवाई शुरू हो जाती। जस्टिस गंगोपाध्याय ने सुनवाई के दौरान इस तरह की बात कही थी। अभी तक न तो इस पर कोई स्पष्टीकरण दिया गया है और न ही इसे रिकार्ड से हटाया गया है।
सीजेआई बोले- इस तरह की हरकत करने वाले जज को सुनवाई करने का हक नहीं
दरअसल सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच एक याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के खिलाफ ईडी और सीबीआई को पूछताछ करने का निर्देश दिया गया था। सीजेआई के साथ जस्टिस पीएस नरसिम्हा भी मामले की सुनवाई कर रहे थे।
सीजेआई ने कहा कि वो अभी अभिषेक बनर्जी से जु़ड़े पश्चिम बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले के मामले की मेरिट पर बात नहीं कर रहे। हमें दिक्कत इस बात को लेकर है कि जो केस पेंडिंग है जज टीवी पर उसके बारे में बात कर रहे हैं। क्या उन्हें सुनवाई का अधिकार दिया जाना चाहिए। ये हमारी साख पर सवाल है।