कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय टीएमसी को खास पसंद नहीं करते हैं। टीएमसी का रवैया भी उनके प्रति कुछ ऐसा ही है। जस्टिस ने सीएम ममता बनर्जी के भतीजे के खिलाफ टीवी पर खुलेआम इंटरव्यू देकर जांच बिठा दी थी। उधर अभिषेक ने भी कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका देकर कहा है कि जस्टिस उनके प्रति बॉयस हैं। हालांकि सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद गंगोपाध्याय को अभिषेक मामले की सुनवाई से हटा दिया गया। लेकिन जस्टिस के तेवरों और उनकी सरकार के प्रति नापसंदगी में कोई खास फर्क नहीं पड़ा है। मौका मिलते ही उन्होंने सरकार को झटका दे दिया।
जस्टिस गंगोपाध्याय ने वेस्ट बंगाल बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन की तरफ से 2016 में भरती किए गए 36 हजार शिक्षकों को एक झटके में बाहर का रास्ता दिखा दिया। जस्टिस गंगोपाध्याय का फैसला बेहद तीखा है। उन्होंने लिखा कि बोर्ड ऑफ प्राइमरी एजुकेशन को लोकल क्लब की तरह से बना दिया गया। नौकरी को बेचा गया। ऐसे जैसे दुकान पर कोई चीज बेची जाती है। इस तरह का करप्शन पश्चिम बंगाल में पहले कभी नहीं देखा गया।
उन्होंने सरकार को आदेश दिया कि वो 3 माह के भीतर फिर से शिक्षकों की भरती करे। लेकिन आवेदन उन लोगों से ही मंगवाए जाए जो 2016 में आवेदक थे। सारी चयन प्रक्रिया की वीडियोग्राफी कराई जाए। 2016 के कैंडिडेट अगर उम्र सीमा को पार कर चुके हैं तो भी उन्हें योग्य माना जाए।
अभिषेक के खिलाफ दिया था टीवी इंटरव्यू, CJI के दखल पर बदली गई थी जस्टिस गंगोपाध्याय की बेंच
कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय दो वजहों से खासी चर्चा में थे। पहली कि उन्होंने ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के खिलाफ टीवी पर इंटरव्यू दिया। दूसरी कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के जजों को मनमानी करने वाला बताया था। उसके बाद के दौर में सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ सख्त कदम उठाया और टीवी पर विचाराधीन केस के बारे में बात करने को सरासर गलत बता दिया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच स्कूल जॉब स्कैम मामले की सुनवाई उनके पास से छीनकर कलकत्ता हाईकोर्ट की दूसरी जस्टिस के हवाले कर दी।
SC के सेक्रेट्री जनरल को आदेश देकर मंगवाई थी टीवी इंटरव्यू की कॉपी, रात में स्टे करना पड़ा था फैसला
बाद के दौर में जो कुछ हुआ वो कई मायनों में हैरान करने वाला रहा। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से उस टीवी इंटरव्यू की मूल कॉपी मंगवा ली जो अभिजीत गंगोपाध्याय से जुड़ा था। लेकिन गंगोपाध्याय ने भी एक कदम आगे बढ़ते हुए सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेट्री जनरल को आदेश दे डाला कि वो टीवी इंटरव्यू की कॉपी उनके पास भिजवाए। ये मामला इतना ज्यादा तूल पकड़ा कि सुप्रीम कोर्ट को रात में बेंच बिठानी पड़ गई। जस्टिस गंगोपाध्याय के आदेश पर रात में ही स्टे दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा कि ये घोर अनुशासन हीनता है।