पश्चिम बंगाल में छह दिनों से हड़ताल पर डटे डॉक्टर अब नरम पड़ गए हैं। कोलकाता के एनआसएस मेडिकल कॉलेज के हड़ताली जूनियर डॉक्टर्स अपनी बैठक के बाद सीएम ममता बनर्जी से बातचीत करने और गतिरोध को समाप्त करने के लिए तैयार हो गए हैं। हालांकि, डॉक्टरों ने एक शर्त भी रखी है। हड़ताली डॉक्टरों ने राज्य सचिवालय में जाकर बातचीत से इनकार किया है। मीडिया से बातचीत में इन डॉक्टरों ने कहा कि वो चाहते हैं कि सीएम से उनकी बातचीत बंद कमरे में न होकर मीडिया की मौजूदगी में कैमरों के सामने हो। बता दें कि इससे पहले सीएम ममता बनर्जी ने एक दिन पहले (15 जून) ही उनकी सभी मांगें मान ली थीं और उनसे काम पर लौटने की अपील की थी।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार (15 जून) को कहा था कि पश्चिम बंगाल सरकार जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के पांच दिन बाद भी आवश्यक सेवा संरक्षण कानून (एस्मा) लागू नहीं कर रही है और उनसे काम पर लौटने की अपील की। प्रेस कॉन्फ्रेन्स में सीएम ने कहा था, ‘‘हमारे पास कानून है लेकिन हम उनका इस्तेमाल नहीं करना चाहते। हम किसी भी प्रदर्शनरत जूनियर डॉक्टर के खिलाफ और उनका करियर बाधित करने के लिए कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।’’ एस्मा के तहत रेलवे, हवाईअड्डा और बंदरगाह ऑपरेशन जैसी ‘‘आवश्यक सेवाओं’’ की लंबी सूची में शामिल कर्मचारियों का हड़ताल पर जाना निषेध है।

बनर्जी ने अन्य राज्यों में ऐसी स्थिति में डॉक्टरों के खिलाफ उठाए गए कदमों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने उनके खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की क्योंकि वह उनका करियर बाधित करना नहीं चाहती। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने डॉक्टरों की सभी मांगे मान ली तथा और मांगे मानने के लिए तैयार है लेकिन उन्हें काम पर लौटना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘शुक्रवार को मैंने पांच घंटे तक जूनियर डॉक्टरों के लिए इंतजार किया और आज मैंने उनके लिए अपने कार्यक्रम रद्द किए। आपको एक संवैधानिक संस्था का सम्मान करना चाहिए।’’ राज्य भर में बड़े पैमाने पर डॉक्टरों के इस्तीफे पर बनर्जी ने कहा कि यह कानूनी रूप से मान्य नहीं है।

(भाषा इनपुट्स के साथ)