Supreme Court Bar Association President Kapil Sibal: सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष और वरिष्ठ कपिल सिब्बल ने शनिवार को कहा कि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस बनने के बाद अत्यधिक उदार जजों के फैसले अक्सर बदल जाते हैं। सिब्बल ने इसके पीछे की बड़ी वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट के जज बनने की लालसा रखते हैं।
वरिष्ठ वकील ने कहा कि अत्यधिक उदारवादी जज जो चीफ जस्टिस बन जाते हैं, उन्हें अचानक पता चलता है – कम से कम मुझे तो ऐसा लगता है – कि उनके निर्णयों का रंग बहुत ही सूक्ष्मता से बदला जा रहा है। क्योंकि यह मानवीय कमजोरी है। आप सुप्रीम कोर्ट जाना चाहते हैं, इस पर कोई बहस नहीं हो सकती।
सिब्बल सिक्किम न्यायिक अकादमी द्वारा ऑडिटोरियम हॉल में आयोजित व्याख्यान में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने उच्च न्यायपालिका में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए अपनाई गई कॉलेजियम प्रणाली पर भी टिप्पणी की।
सिब्बल ने कहा कि कॉलेजियम द्वारा की गई नियुक्तियां अनिवार्यतः योग्यता के आधार पर नहीं होतीं। उन्होंने कहा कि और यहीं से समस्या उत्पन्न होती है। (उच्च न्यायालय) मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को सम्मान देते हैं। और यह बात उनके आदेशों में प्रतिबिंबित होती है, मुझे यह कहते हुए दुख हो रहा है।
उन्होंने कहा कि कॉलेजियम प्रणाली तैयार करने के पीछे की विचार प्रक्रिया अच्छी थी। उन्होंने कहा कि उस समय समस्या यह थी कि वकील और न्यायाधीश अपनी नियुक्ति के लिए राजनेताओं के पास भाग रहे थे। वे सत्ता में बैठे लोगों की पूजा करते थे। इसलिए ऐसा करने के बजाय, आइए एक कॉलेजियम प्रणाली अपनाएं क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश ही सबसे अच्छी तरह जानते हैं कि कौन से वकील बेंच में पदोन्नत होने के योग्य हैं। इसके पीछे यही विचार था और यह एक अच्छा विचार था।
हालांकि, इसके बाद समस्या यह पैदा हो गई कि वकील अब अपनी नियुक्ति के लिए जजों के पास दौड़ने लगे हैं। इसी तरह, उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के जज भी अपनी पदोन्नति के लिए सुप्रीम कोर्ट के जजों के पास जाते हैं। उन्होंने कहा कि और जब देश भर में मुख्य न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाती है, तो कौन सा मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय जाएगा, यह किस बात पर निर्भर करता है? वे मानदंड क्या हैं? स्वाभाविक रूप से , कोई नहीं जानता कि वे मानदंड क्या हैं।
सिब्बल ने यह भी कहा कि जब किसी विशेष उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को शीर्ष न्यायालय में पदोन्नत किया जाता है, तो वह स्वाभाविक रूप से किसी अन्य के नाम की सिफारिश करते हैं। वास्तविकता में यही होता है। हमें इसके बारे में खुलकर बात करनी चाहिए। जब तक हम ईमानदारी से इस बारे में बात नहीं करेंगे, तब तक हम व्यवस्था को नहीं बदल सकते। इस बात को दबाने का कोई मतलब नहीं है।
सिब्बल ने स्पष्ट किया कि इस प्रक्रिया में हाई कोर्ट के न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय के अधीनस्थ हो जाते हैं, भले ही संवैधानिक ढांचा इसकी अनुमति न देता हो। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट के न्यायाधीश हाई कोर्ट में आगे बढ़ने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की ओर देखते हैं। अधीनस्थ न्यायालय और वहां की न्यायपालिका के न्यायाधीश उच्च न्यायालय जाने के लिए उच्च न्यायालय की ओर देखते हैं।