पेगासस जासूसी कांड के खिलाफ अब दुनियाभर में आवाज उठने लगी है। अब सामने आया है कि सात देशों के 17 पत्रकारों ने इस मामले की जांच के लिए रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (RSF) को जॉइन किया है। इस संस्था ने फ्रांस के अभियोजक के सामने इजराइली कंपनी NSO के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। बताया गया है कि इस जासूसी कांड को संयुक्त राष्ट्र के पास भी भेजा गया है।

बताया गया है कि जिन 17 पत्रकारों ने फ्रेंच प्रॉसिक्यूटर के सामने अपील दायर की है, उनमें पांच पत्रकार भारत के भी हैं। इस मामले के सामने आने के बाद तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। मोइत्रा ने लिखा, “भरात के पांच पत्रकार जांच के लिए फ्रांस के अभियोजक के पास पहुंचे। यह सच में दुखद दिन है, जब भारतीयों को सच और न्याय के लिए विदेशी अधिकारियों से गुहार लगानी पड़ रही है।”

किन पत्रकारों ने फ्रेंच प्रॉसिक्यूटर के सामने की अपील: बताया गया है कि दुनियाभर के जिन पत्रकारों ने एनएसओ पर लगे आरोपों की जांच की मांग की है, उन सभी पर कंपनी के बनाए पेगासस सॉफ्टवेयर के जरिए जासूसी होने का शक है। अपील करने वाले पत्रकारों में दो अजरबैजान के हैं, जबकि पांच मैक्सिको, पांच भारत, एक स्पेन, दो हंगरी, एक मोरक्को और एक टोगो का पत्रकार भी शामिल है।

भारत के जिन पत्रकारों ने रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स का साथ दिया है। उनमें द वायर के सह-संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन, एमके वेणु, सीनियर पत्रकार सुशांत सिंह, भारत में RSF के संवाददाता सुभ्रांशु चौधरी और स्वाति चतुर्वेदी शामिल हैं। इनमें चतुर्वेदी को 2018 में आरएसएफ प्रेस फ्रीडम अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

गौरतलब है कि भारत में द वायर ने ही खुलासा किया था कि एनएसओ के पेगासस सॉफ्टवेयर की जो जासूसी लिस्ट लीक हुई, उसमें 40 भारतीय पत्रकारों के भी नाम थे। फॉरेंसिंक टेस्ट में यह पाया गया कि इन तीन पत्रकारों के फोन पर पेगासस के जरिए जासूसी भी की गई, जबकि स्वाति चतुर्वेदी का फोन नंबर लीक लिस्ट में पाया गया था। यानी वे भी इस सॉफ्टवेयर के संदिग्ध निशानों में शामिल थीं।