ईडी ने शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कार्रवाई करते हुए पत्रकार राणा अयूब के 1.77 करोड़ रुपए जब्त किए। ईडी ने गाजियाबाद पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर यह कार्रवाई की थी। ईडी ने कहा कि राणा अयूब ने कोरोना, बाढ़ राहत और प्रवासियों के लिए तीन ऑनलाइन डोनेशन अभियान शुरू किया और इसमें FCRA की मंजूरी के बिना विदेशी चंदा जमा किया। अब इस मामले में पत्रकार राणा अयूब ने भी अपनी सफाई पेश की है।

राणा अयूब ने ट्विटर पर अपना बयान जारी करते हुए कहा कि साल 2020 में कोरोना महामारी के प्रकोप के बाद उपजे भूख और गरीबी की भयावहता तो ध्यान में रखते हुए लोगों की मदद के लिए मैंने केटो प्लेटफॉर्म पर डोनेशन अभियान शुरू किया। इस अभियान को शुरू करने के लिए मुझसे केटो द्वारा दो बैंक अकाउंट मांगे गए जिसमें चंदे को भेजा जा सके। मैंने केटो से सीधे अनाज विक्रेताओं को डोनेशन भेजने के विकल्प का अनुरोध किया लेकिन यह संभव नहीं हो पाया। ये अनाज विक्रेता सीधे डोनेशन के पैसे से लोगों की मदद करते।

आगे राणा अयूब ने लिखा कि पैन कार्ड उपस्थित नहीं कर पाने के कारण मेरे व्यक्तिगत बैंक अकाउंट का उपयोग नहीं किया जा सका। जिसके बाद मैंने कोरोना पीड़ित परिवारों की सहायता में देरी न हो इसके लिए अपने पिता और अपनी बहन के अकाउंट का उपयोग किया। जिसमें लोगों ने चंदे भेजे। इस चंदे की मदद से हमने कई राहत अभियान चलाए। बाद में मैंने इस अभियान को रोक दिया।

राणा अयूब ने यह भी कहा कि दान देने वाले सभी लोगों ने केटो वाले बैंक अकाउंट में डोनेशन भेजा। जिसका 2% काटकर मेरे दोनों अकाउंट में भेज दिया गया। मुझे कोई भी विदेशी दान प्राप्त नहीं हुआ। मैंने इसके लिए केटो से कहा भी था कि विदेश से आए सभी चंदों को वापस कर दिया जाए। सभी राहत अभियान सिर्फ घरेलू चंदे से चलेंगे। लेकिन  जून 2021 के बाद से मुझे आयकर विभाग से कई नोटिस मिले।

आगे उन्होंने कहा कि मैं इस मामले में कई बार आयकर विभाग के कार्यालय गई। जिसके बाद आयकर विभाग ने मेरे और मेरे पिता के अकाउंट को डीफ्रिज कर दिया। मुझे डोनेशन पर आयकर का भुगतान करने को कहा गया और मैंने करीब 1 करोड़ का भुगतान किया। साथ ही उन्होंने कहा कि जब आयकर की कार्यवाही चल रही थी, उसी समय मुझे प्रवर्तन निदेशालय द्वारा भी बुलाया गया, जिसने मेरे खिलाफ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत कार्यवाही शुरू की।

राणा अयूब ने लिखा कि दिसंबर 2021 में मुझे प्रवर्तन निदेशालय के दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय से धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत समन मिला। मैं अधिकारियों के सामने पेश हुई और एक बार फिर से सभी जानकारी साझा की जो उन्होंने मुझसे पूछी। मुझे आश्‍चर्य हुआ कि अधिकांश पूछताछ खासकर विदेशी मीडिया घरानों से मेरी पत्रकारिता की आय पर केंद्रित थी।

इसके अलावा उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि मैंने आयकर विभाग के समक्ष और ईडी के दो जोनल कार्यालयों के समक्ष भी स्पष्ट रूप से दिखाया है कि राहत अभियान के किसी भी हिस्से का उपयोग किसी अन्य उद्देश्य के लिए नहीं किया गया है। यह उचित है कि फंड का एकमात्र हिस्सा यानी 50 लाख की एफडी का उपयोग नहीं किया गया क्योंकि यह आयकर विभाग के पास अटैच था।