दिल्ली हिंसा पर दिए बयान की वजह से वरिष्ठ पत्रकार राणा अय्यूब ( Rana Ayyub) ट्रोल्स के निशाने पर आ गई हैं। तमाम पत्रकारों ने भी राणा अय्यूब के दावों पर सवाल खड़ा करते हुए उन्हें घेरा है। दरअसल, राणा अय्यूब ‘CNN’ की एक डिबेट में शामिल हुईं। इस दौरान दिल्ली दंगों को लेकर एंकर फ़रीद ज़कारिया के सवाल पर राणा अय्यूब ने दावा किया कि हिंसा में सिर्फ मुस्लिमों के घर जले, उनकी दुकानें लूटी गईं और महिलाओं का यौन शोषण हुआ।

राणा अय्यूब कहती हैं, ‘जब 1993 के दंगे हुए थे तब मैं 9 साल की थी। गुजरात दंगों को भी मैंने कवर किया है। नरेंद्र मोदी के शासन काल में हुए इन दंगों में हजारों मुसलमान मारे गए थे। लेकिन दिल्ली में बीते 2 हफ्तों में जो कुछ भी हुआ उसके लिए कोई तैयार नहीं था। अब मोदी दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र के पीएम हैं, लेकिन नई दिल्ली से जो तस्वीरें सामने आईं, वो मनहूस फिल्मों की याद दिलाती हैं, जो हम इंडिया में बना रहे हैं’।

अय्यूब आगे कहती हैं, ‘मुस्लिम परिवार घर छोड़ कर पलायन कर रहे हैं, माएं अपने बच्चों के लिए रो रही हैं, भीड़ द्वारा ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते हुए घरों में घुसकर मोलेस्टेशन का शिकार हुई महिलाएं हैं, तहस-नहस मस्जिदें हैं और कुरान के बिखरे पन्ने। ये सब तब हो रहा था जब ट्रम्प मीडिया से कह रहे थे कि सब कुछ मोदी के कंट्रोल में है’।

उन्होंने आगे कहा, ‘भीड़ को मुस्लिम लोकैलिटीज पर हमले के लिए खुला छोड़ दिया गया था। यह सब कुछ प्री प्लांड था। पुलिस हाथ बांधे खड़ी थी। एक वीडियो में तो पुलिस वाले मुस्लिम युवकों को पीटते भी दिखे। जबकि दिल्ली की कानून व्यवस्था के लिए जिम्मेदार गृह मंत्री अमित शाह उसी दौरान ‘भव्य राम मंदिर’ के निर्माण की बात कर रहे थे। वे हिंसाग्रस्त इलाक़ों में गए तक नहीं। जबकि पीएम मोदी को भी बयान जारी करने में 3 दिन लग गए’।

इस बयान के बाद राणा अय्यूब सोशल मीडिया पर ट्रोल होने लगीं। वरिष्ठ पत्रकार प्रीति चौधरी ने राणा अय्यूब के दावों पर सवाल खड़ा करते हुए लिखा, ‘अब तक एक भी ग्राउंड रिपोर्ट में सेक्शुअल असॉल्ट की बात सामने नहीं आई है, मास मोलेस्टेशन तो दूर की बात है। हां फिजिकल असॉल्ट की बात जरूर आई है। कृपया उस इलाके का नाम शेयर करें, जिसके आधार पर आप ये दावे कर रही हैं’।

वहीं, पत्रकार साक्षी जोशी ने लिखा, ‘ सब कुछ मुसलमानों पर ही केंद्रित मत करिए। आप लोगों के साथ यही दिक्कत है। हिंदू भी मारे गए हैं। कम से कम किसी दिन तो मुसलमान से इतर एक भारतीय होकर बात किया करिए। वरिष्ठ पत्रकार पल्लवी घोष ने इस ट्वीट के जवाब में लिखा, ‘पूरी तरह सहमत’।

उधर, तमाम टि्वटर यूजर्स ने राणा अय्यूब के वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, ‘मारने वाले केवल दंगाई थे। उन्हें हिंदू या मुसलमान में बांटना गलत है’। एक यूजर ने लिखा कि ‘हमेशा विक्टिम कार्ड खेलना गलत है। हिंसा में मरने वाले दोनों समुदाय के थे। दोनों के दर्द की बात करनी चाहिए’।