ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जानसन का दो दिनों का भारत दौरा अहम घटनाक्रम है। अहम इसलिए, क्योंकि उनकी यात्रा दो बार टल चुकी थी। जानसन का भारत दौरा ऐसे वक्त में हुआ है जब उन्हें घरेलू मोर्चे पर काफी किरकिरी झेलनी पड़ी है। यूक्रेन संकट के कारण पूर्वी यूरोप के कई देश जंग का ताप झेल रहे हैं। ‘पार्टीगेट’ (कोविड नियम तोड़कर जश्न और जमावड़ा करने) विवाद में वे बिना शर्त माफी मांग चुके हैं।

हालांकि, विपक्ष इस मसले पर उनके इस्तीफे की मांग पर अड़ा है। उनके वित्त मंत्री ऋषि सुनक पर भी कोविड नियमों के उल्लंघन के मामले में जुर्माना लगा और वे कर से जुड़े विवादों में फंसे हैं। इन हालात में उनकी यात्रा के कूटनीतिक एजंडे को लेकर सवाल उठ रहे हैं। भारत और ब्रिटेन में 2030 का रोडममैप तैयार किया गया है और कारोबार बढ़ाने की कवायद की गई है।

रक्षा सहयोग बढ़ाने की तैयारी है। अगर यह कवायद कामयाब हो जाती है तो इससे ब्रिटेन के सालाना व्यापार में 2035 तक लगभग 36.5 अरब अमेरिकी डालर की बढ़ोतरी हो सकती है। जानसन ने अपने भारत दौरे को सौ अरब पाउंड (9800 अरब रुपए) के कारोबार और निवेश समझौतों के लिहाज से महत्त्वपूर्ण करार दिया।

यूरेशिया की हालत और भारत

यूरेशिया क्षेत्र की सरजमीं का भू-राजनीतिक तापमान गरमाया हुआ है। रूस के खिलाफ पश्चिमी देशों ने जबरदस्त गोलबंदी दिखाई है। ऐसे में संभावित तौर पर रूस-यूक्रेन मसले पर इंग्लैंड की भारत से उम्मीदें जुड़ गई हैं। इंग्लैंड ने रूस पर आर्थिक पाबंदियां लगाते हुए यूक्रेन को राजनीतिक, आर्थिक और सैनिक सहायता मुहैया कराई है। दूसरी ओर भारत इस मसले पर तटस्थ रहा है।

कूटनीतिक स्तर पर रूस को लेकर भारत और ब्रिटेन का रुख विपरीत रहा है, लेकिन दोनों देशों ने इसे अनदेखा किया। भारत के साथ द्विपक्षीय बातचीत इन तमाम घटनाक्रमों के बीच हुई है। घोषणाओं से जाहिर है कि दोनों ही पक्षों ने हासिल किए जा सकने वाले लक्ष्यों और मसलों पर ही जोर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद बोरिस जानसन ने स्वीकार किया कि रूस को लेकर भारत का रुख जगजाहिर है, और इसमें बदलाव नहीं होने वाला।

बुनियादी और गंभीर मसले

जानसन के कार्यक्रमों से उनके दौरे के प्राथमिक लक्ष्य स्पष्ट थे। उन्होंने अपने पहले ठिकाने के तौर पर अहमदाबाद को चुना। इंग्लैंड का कोई प्रधानमंत्री पहली बार अहमदाबाद पहुंचा। इंग्लैंड में रहने वाले भारतीयों में गुजरात के निवासियों की संख्या खूब है। इस लिहाज से दोनों देशों के बीच दोतरफा व्यापार को बढ़ावा देने के लिए गुजरात अहम ठिकाने के रूप में उभरकर सामने आया है।

मई 2021 में भारत-इंग्लैंड में डिजीटल माध्यम से हुए शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों पक्ष द्विपक्षीय रिश्तों के लिए एक दशक का रोडमैप तैयार करने पर सहमत हुए थे। जानसन की हालिया द्विपक्षीय यात्रा से चंद दिनों पहले ही ब्रिटिश विदेश मंत्री लिज ट्रस भारत दौरे पर आई थीं। ट्रस की यात्रा से ही कई महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में द्विपक्षीय रिश्तों में सुधार की प्रक्रिया शुरू हो गई थी। इनमें खाद्य सुरक्षा, जलवायु परिवर्तन, रक्षा और ऊर्जा शामिल हैं। धानमंत्री जानसन ने नौकरियों, आर्थिक वृद्धि, व्यापार और रक्षा को अपने दौरे का मुख्य मकसद बताया था।

आर्थिक-सामरिक मानचित्र

दरअसल, ब्रिटेन ब्रेग्जिट के बाद के दौर में अपने लिए एक नई राह की तलाश कर रहा है। ऐसे में भारत के साथ अनेक क्षेत्रों में विस्तृत भागीदारी तैयार करना उसके एजंडा में शीर्ष पर है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के ताजा आकलन में भारत में 8.2 फीसद के विकास दर का अनुमान लगाया गया है। विकास दर के पिछले अनुमान से यह आकड़ा भले ही कम हो, लेकिन इसके बावजूद विश्व में सबसे ज्यादा विकास दर के अनुमान वाले देशों में भारत का स्थान बरकरार है।

भारत की आर्थिक क्षमता निवेश का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है। एक ओर भारत के आर्थिक-सामरिक मानचित्र में यूरोपीय संघ की अहम भूमिका है। दूसरी ओर ब्रेग्जिट के बाद ब्रिटेन की रणनीति में भी विशाल बाजार वाला भारत अहमियत रखता है। वर्ष 2021 में सुरक्षा, रक्षा, विकास और विदेश नीति की एकीकृत समीक्षा से जानसन ने वैश्विक ब्रिटेन का दस्तावेज जारी किया था।

इस दस्तावेज की अनेक बातें हिंद-प्रशांत क्षेत्र और उससे परे भारत के अपने नजरिए से मेल खाती हैं। मई 2021 में दोनों देशों के बीच रसद से जुड़े समझौते पर रजामंदी हुई थी। इससे दोनों देशों के लिए हिंद-प्रशांत में नौ सैन्य तालमेल बढ़ाने के नए अवसर खुले।हिंद-प्रशांत क्षेत्र का एजंडा

भारत और ब्रिटेन दोनों देश अपनी व्यापक सामरिक भागीदारी के जरिए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा दृष्टिकोण विकसित करने की कवायद में जुटे हैं। यह महत्त्वाकांक्षी रोडमैप लोकतंत्र, मौलिक स्वतंत्रता, बहुपक्षीयवाद और नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की साझा प्रतिबद्धता पर टिका है। हिंद-प्रशांत में मजबूती से मौजूदगी बनाने के ब्रिटिश नजरिए में भारत के साथ ठोस भागीदारी अहम है।

जानसन ने साफ कहा कि हिंद-प्रशांत को मुक्त और स्वतंत्र बनाए रखने से भारत और ब्रिटेन के साझा हित जुड़े हैं। इस क्षेत्र में ब्रिटेन तैनाती और गश्त बढ़ा रहा है। पिछले साल जुलाई में दक्षिण चीन सागर और पश्चिमी प्रशांत महासागर में ब्रिटिश कैरियर स्ट्राइक ग्रुप की तैनाती की गई थी।

इससे पहले ब्रिटेन ने थाईलैंड के जलक्षेत्र में साझा समुद्री सैन्य अभ्यास किया था। वर्ष 1997 के बाद यूके की ओर से इस तरह की ये पहली तैनाती थी। दरअसल जानसन की सरकार यूरोप की अगुवा नौसैनिक ताकत के तौर पर ब्रिटेन का पुराना रसूख बहाल करना चाहती है।

क्या कहते हैं जानकार

युद्ध में खुलकर यूक्रेन का साथ और रूस का विरोध कर रहे बोरिस जानसन सीधे तौर पर भारत के रुख पर कोई विरोधी टिप्पणी करने से बचते नजर आए। वे जानते हैं भारत के रूस के साथ संबंध बहुत पुराने हैं। इसलिए आपसी सहयोग के साझा मंच की उन्होंने बात की।

  • राजीव डोगरा, पूर्व राजनयिक

यूरोपीय संघ से बाहर आने के बाद ब्रिटेन अपनी अर्थव्यवस्था को सुधारने में जुटा है। इस कड़ी में भारत के साथ उसने जहां प्रतिभाओं को आकर्षित करने के रास्ते खोले हैं, वहीं उनके लिए रोजगार सहूलियतें भी बढ़ाई हैं। ऐसे में भारत का साथ ब्रिटेन के लिए जरूरी हो गया है।

  • केपी फाबियान, पूर्व राजनयिक