जेएनयू छात्र संघ चुनाव के नतीजे इस बार चौकाने वाले साबित हुए हैं। इस बार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने वाम के गढ़ में सेध लगाने में सफलता हासिल की है। संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी के वैभव मीणा (ABVP Vaibhav Meena) ने विजय हासिल की है, बाकी शीर्ष तीन पद वाम खेमे में गए हैं। कुल मिलाकर केंद्रीय पैनल का यह मैच 3:1 से वाम छात्र संगठनों ने जीत लिया है।
JNUSU Results 2025: कौन – कौन जीता?
नीतीश कुमार (वाम : आइसा-डीएसएफ) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं, उन्होंने एबीवीपी की शिखा स्वराज को हराया। उपाध्यक्ष और सचिव (जीएस) पद पर भी वाम (आइसा-डीएसएफ गठबंधन ) की ही क्रमशः मनीषा और मन्ताहा फातिमा ने जीत हासिल की है।
सालों से ‘केवल’ लाल-लाल लहरता दिखने वाला अरावली के इस परिसर में भगवा को इस बार एंट्री मिली। आठ साल तक एक साथ चुनाव लड़ने वाले वाम छात्र संगठनों में इस बार पड़ी दरार ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) को कड़े मुकाबला में खड़ा कर दिया। नतीजों से पहले मिले रूझानों ने साफ कर दिया था कि इस बार दो की लड़ाई में तीसरे को फायदा पहुंचाने जा रहा है। और वह नतीजे में सही साबित हुआ, एबीवीपी को सेंट्रल पैनल में जीत हासिल हुई।
42 काउंसलर पदों में से 24 पदों पर एबीवीपी ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की
बता दें कि जेएनयू में विश्वविद्यालय के 16 स्कूलों और विभिन्न संयुक्त केंद्रों के कुल 42 काउंसलर पदों और सेंट्रल पैनल के चार प्रमुख पदों अध्यक्ष,उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव पर चुनाव में गुरुवार को चुनाव हुए थे, अंतिम नतीजे रविवार देर रात 1.40 बजे आए। ABVP ने 42 काउंसलर पदों में से 24 पदों पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। यह किसी भी अन्य छात्र संगठन की तुलना में सर्वाधिक है।
इतना ही नहीं, सूत्रों की माने तो कैंपस का स्कूल आफ सोशल साइंस, जिसे जेएनयू में वामपंथ का गढ़ माना जाता रहा है, वहां एबीवीपी ने 25 वर्षों बाद दो सीटों पर विजय प्राप्त कर एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत दिया है। इसके अलावा स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, जो लंबे समय से वामपंथी प्रभाव का प्रमुख केंद्र रहा है, वहां भी एबीवीपी ने दो सीटों पर विजय हासिल की है।
लंबी है दिल्ली की यूनिवर्सिटी पॉलिटिक्स से संसद पहुंचने वाले नेताओं की लिस्ट