JNUSU Results 2019 में स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज (SSS) के छात्र शशिभूषण पांडे उर्फ समद भी काउंसलर पद पर चुनाव जीते हैं। उन्हें कुल 1479 वोटों में से 714 मत हासिल हुए हैं। ऐसा दावा है कि इस चुनाव में जीत के साथ ही वह जेएनयू कैंपस के इतिहास में पहले दिव्यांग छात्र हैं, जिसे छात्रसंघ के चुनाव में किसी पद पर जीत हासिल हुई हो।

नतीजे जारी होने के बाद जनसत्ता को उन्होंने फोन पर पहली प्रतिक्रिया देते हुए बताया, “छात्रों को मैंन्डेट मिला, इसलिए मैं साल भर संघर्ष करूंगा और उनके मुद्दे उठाता रहूंगा। हमने 17 सितंबर को ही SSS सेंटर के रीडिंग रूम में सुधार के लिए ऐप्लिकेशन दे दी है।”

बकौल शशिभूषण, “कैंपस के इतिहास में आज तक कोई विजुअली इंपेयर्ड नहीं चुना गया था। मैं JNU के पूरे इतिहास विजुअली इंपेयर्ड के तौर पर पहला कैंडिडेट हूं, जो यूनियन के चुनाव में जीता हूं। मैं इसके नाते हमारे समुदाय (नेत्रहीन) को लेकर जो सुविधाएं कैंपस में नहीं है, उस पर पूरा जोर देकर काम करूंगा। कैंपस का सारे मुद्दे हमारे मुद्दे हैं।

JNU में SSS सेंटर के काउंसलर पद पर जीते विनर्स की लिस्ट। (फोटोः जनसत्ता/अभिषेक गुप्ता)

PAK शायर की नज्म गाकर बंटोरी सुर्खियां, वीडियो हुआ था वायरलः जेएनयू चुनाव संपन्न होने वाले दिन समद ने पाकिस्तानी इंकलाबी शायर हबीब जालिब की नज्म ‘दस्तूर’ गाई थी, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर उसके बाद खूब वायरल हुआ था। समद मूलपूर से उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के रहने वाले हैं और जेएनयू में SSS से मॉर्डन हिस्ट्री में एम.ए कर रहे हैं। बचपन में उन्हें ग्लूकोमा बीमारी हो गई थी, जिसके बाद उनके 14-15 ऑपरेशन हुए। हालांकि, यह बीमारी ठीक न हुई, फिर भी उनके पिता ने खूब ख्याल रखा और उन्हें वक्त पर स्कूल में डाल दिया था।

और करीब से जानिए शशिभूषण कोः वह गोरखपुर में प्राइवेट स्कूल से आठवीं तक पढ़े हैं। फिर बनारस के ट्रस्टी स्कूल में उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। आगे बीएचयू पहुंचे। समद ने इससे पहले जनसत्ता को दिए इंटरव्यू में बताया था, “आप (सरकार) दिव्यांग कहकर वोट बैंक नहीं पा सकते। 2014 के बाद उन्होंने एक भी ब्लाइंड स्कूल खोले हैं? सवाल पूछने से लोग तिलमिला रहे हैं और उसे रोकने के लिए लोग तिलमिला रहे हैं। मसलन दीवारों से पोस्टर हटाए जा रहे हैं।”

उनके मुताबिक, “हमारी दीवारें बोलती थीं। तर्क दिया जा रहा है- गंदगी हटाई जा रही है, स्वच्छता अभियान है। फाइन लगाया जा रहा। परेशान किया जा रहा है। वे जानते हैं कि ये गलत है। पर जानते हैं कि गलत को छिपाने के लिए और गलत बोलते जा रहे हैं।”