JNUSU Results 2019: जेएनयू छात्रसंघ चुनाव 2019 में सेंट्रल पैनल के नतीजों में सभी चार पदों पर लेफ्ट यूनिटी ने मंगलवार (17 सितंबर, 2019) को क्लीन स्वीप के साथ जीत हासिल की। अध्यक्ष पद पर जीतीं Students’ Federation of India की आइशी घोष को कुल 5728 वोटों में से 2313 मत मिले, जबकि निर्दलीय टिकट पर लड़े राघवेंद्र मिश्रा को महज 53 वोट ही हासिल हुए। मिश्रा को उनके हुलिए, अंदाज और ‘हार्डकोर हिंदुत्व’ की विचारधारा के लिए कैंपस का ‘योगी आदित्यनाथ’ और ‘जूनियर योगी’ नाम से भी जेएनयू छात्र जानते हैं।

नतीजे जारी होने के बाद देर रात उन्होंने जनसत्ता को फोन पर बताया, “लेफ्ट की कमर टूट चुकी है। उनमें दम हो तो वे अलग-अलग चुनाव लड़े और जीत कर दिखाए? उन्हें हमसे डर है। यही वजह है कि उन्होंने मेरे नॉमिनेशन पर रोड़ा लगाया था।”

यह पूछे जाने पर कि आपको महज 53 ही मिले? उन्होंने जवाब दिया- इन अंकों को वोट की दृष्टि से न देखा जाए। ये 53 लोग ही राष्ट्रहित, समाजहित और छात्रहित की रक्षा के लिए आगे आएंगे। हम चुनाव में उतरे…यही चीज लेफ्ट के मुंह पर तमाचा थी। उनके षडयंत्र की वजह से मुझे प्रचार का मौका भी नहीं मिला। वे चाहते हैं कि जेएनयू में हिंदुत्व और संत परंपरा की बात करने वाला कोई न हो।

JNUSU की नई अध्यक्ष आइशी घोष को कुल 5728 में से 2313 वोट हासिल हुए। (फोटोः जनसत्ता/अभिषेक गुप्ता)

बकौल मिश्रा, “चुनाव में जीत-हार अपनी जगह है। मैं वोटों से भले ही हारा हूं, पर यह चुनाव मैंने दिल और दिमाग से जीता है, क्योंकि छात्रों ने माना है कि अगर मैं प्रचार-प्रसार करता तो शायद जीतता।” आगे का एजेंडा बताते हुए वह बोले कि वह राष्ट्रहित, समाजहित और छात्रहित में काम करते रहेंगे।

कौन हैं JNU कैंपस के ‘योगी’?: मिश्रा, उत्तर प्रदेश के सोनभद्र से हैं। बनारस से शुरुआती पढ़ाई, जिसके बाद वह जेएनयू आए। आठ साल से कैंपस में हैं। संस्कृत में एम.ए और एम.फिल की। फिलहाल पीएचडी कर रहे हैं। अमेरिका भी जा चुके हैं, जबकि जेआरएफ (संस्कृत के साथ वीमेंस स्टडीज में) भी क्लियर कर चुके हैं। 2013 में कैंपस में आते ही खाद्य सचिव बनाया गया। जेएनयू विजन फोरम के ट्रेजरार रहे और भी पदों पर रहे। साबरमती डोरमेट्री के अध्यक्ष भी हैं। कैंपस में हुए अलग-अलग चुनाव में कुल तीन बार जीत चुके हैं। यह उनकी चौथी बारी थी, जिसमें वह लड़े। हालांकि, इस बार उन्हें करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा।