JNU Students Protest: दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में हुए बवाल के बाद अब आरएसएस पर कई संगीन आरोप लग रहे हैं। जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष ने कहा है कि RSS से जुड़े प्रोफेसर्स हिंसा भड़काने में शामिल थे। विश्वविद्यालय कैंपस में हुई मारपीट की घटना में आईशी घोष भी बुरी तरह घायल हुई हैं। उन्हें दिल्ली के एम्स अस्पताल में 16 टांके लगे हैं। आईशी घोष ने कहा कि इस घटना को योजना बनाकर अंजाम दिया गया है।
आईशी घोष ने कहा कि ‘वो लोग को चुन-चुन कर हमला कर रहे थे। इस पूरे मामले में जेएनयू प्रशासन, पुलिस और एबीवीपी की मिलीभगत भी सामने आ चुकी है। इन लोगों ने इस हिंसा को रोकने के लिए कुछ भी नहीं किया। पिछले 5-6 दिनों से कुछ आरएसएस समर्थक प्रोफेसर्स हमारे आंदोलन को रोकने के लिए हिंसा को बढ़ावा दे रहे थे। क्या जेएनयू प्रशासन या पुलिस से अपनी सुरक्षा मांगना गलत है।?’ वहीं छात्र संघ के उपाध्यक्ष साकेत मून ने पुलिस की कार्रवाई पर भी सवाल उठाया है। साकेत मून ने कहा कि हमले के वक्त छात्रों ने पुलिस को फोन किया था लेकिन वो 2 घंटे तक नहीं आई।
आईशी घोष ने कहा कि रविवार को नकाबपोशों के हमले में कई लोग घायल हुए। यह सभी एबीवीपी समर्थक थे जो आरएसएस का ही एक संगठन है। घोष ने यह भी बताया कि उन्होंने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को मैसेज भेजा था कि विश्वविद्यालय के अंदर छात्रों की पिटाई की जा रही है लेकिन वहां पुलिस नहीं आई। इस मारपीट में घायल हुए विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शुक्ला सावंत ने कहा कि ‘उप-कुलपति या प्रशासन की तरफ से कुछ नहीं कहा गया और ना ही वो वहां पर आए। इनलोगों की तरफ से एक मैसेज तक नहीं भेजा गया।’
वहीं पुलिस पर लगे रहे गंभीर आरोपों का जवाब देते हुए डीसीपी (साउथवेस्ट) देवेंद्र आर्या ने कहा कि ‘4 बजकर 57 मिनट पर पीसीआर पर पहला फोन आया था। यह फोन पेरियार हॉस्टल से किया या था। फोन करने वाले ने कहा था कि लेफ्ट पार्टी द्वारा पथराव किया जा रहा है। पीसीआर पर दूसरा फोन 7.12 मिनट पर आया था। इसके बाद जेएनयू प्रशासन ने 7.40 मिनट पर फोन किया था। एक पत्र भी प्राप्त हुआ जिसमें पुलिस से अपील की गई थी कि वो कैंपस के अंदर आए।’
बहरहाल आपको बता दें कि जेएनयू में हुई मारपीट के मामले में पुलिस ने सोमवार को अज्ञात लोगों के खिलाफ हिंसा करने और संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का केस दर्ज किया है। अभी तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
