संसद हमले के शहीदों के परिजनों ने सोमवार को आॅल इंडिया एंटी-टेररिज्म फ्रंट के अध्यक्ष एमएस बिट्टा की अगुआई में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की। उन्होंने गृहमंत्री से जेएनयू परिसर में राष्ट्र-विरोधी व अफजल गुरु के समर्थन में कथित नारे लगाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। बिट्टा ने कहा कि अगर सरकार 15-20 दिन में कार्रवाई करने में विफल रहती है, तो देश के तमाम शहीदों के परिवार हजारों की संख्या में जेएनयू परिसर में विरोध के लिए इकट्ठा होंगे। वहीं शहीदों के परिजनों ने कहा कि इस राष्ट्र विरोधी कृत्य से जितना दुख पहुंचा है उतनी पीड़ा तो 2001 में भी नहीं हुई थी।
जेएनयू प्रकरण से संसद के शहीदों के परिवारों को पहुंची पीड़ा साझा करते हुए एमएस बिट्टा ने कहा, ‘जिन्होंने भी अफजल गुरु का मुद्दा उठाया है उन्होंने 2001 के संसद हमले के शहीदों का मजाक उड़ाया है। एक तरफ हमारे जवान कुर्बानी दे रहे हैं, दूसरी तरफ अफजल के समर्थन में नारे लग रहे हैं, सरकार इस मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे’। बिट्टा ने कहा कि अगर इस मामले में हाफिज सईद का हाथ है तो इसकी भी जांच हो।
गृह मंत्री से मुलाकात से पहले उन्होंने सवाल उठाया, ‘क्या सरकार इतनी कमजोर हो गई है कि वह 50 छात्रों में से पाकिस्तान समर्थित नारेबाजी करने वालों का पता नहीं लगा सकती है?’ बिट्टा ने कहा कि जिन्हें राजनीति करनी है वह सड़क पर आकर करें, जेएनयू को राजनीतिक अखाड़ा न बनाएं और शहीदों की कुर्बानी का मजाक न उड़ाएं।
संसद हमले में शहीद विजेंद्र सिंह अधाना की पत्नी जयवती ने कहा कि देश के अंदर अपने ही लोगों द्वारा अफजल के समर्थन से हमें बहुत ठेस पहुंची है, इतना दुख तो 2001 में भी नहीं हुआ था। शहीद मातवार सिंह नेगी के पुत्र सोनू ने कहा कि ये छात्र इसी देश में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं और इसी देश की जड़ काट रहे हैं। संसद हमले के शहीदों के परिजनों की योजना एमएस बिट्टा के नेतृत्व में जेएनयू के वीसी से भी मिलने की थी, लेकिन सुरक्षा कारणों से मुलाकात स्थगित कर दी गई। 13 दिसंबर 2001 को हुए संसद हमले में नौ लोग शहीद हुए थे। इस हमले का मास्टरमाइंड अफजल गुरु था, जिसे 2013 में फांसी दे दी गई थी।