जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का आरोप लगने के बाद से बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार विरोधियों के निशाने पर है। खासतौर पर मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी पर विपक्ष लगातार हमले कर रहा है। इस मुद्दे पर हर राजनीतिक दल अपने चश्मे से राय रख रहा है। जाहिर है सभी को अपने-अपने वोट बैंक की चिंता है। ऐसे में असल मुद्दा कहीं दब सा गया है। इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या कन्हैया कुमार पर देशद्रोह का आरोप लगाया जाना चाहिए या नहीं? इस सवाल से जुड़े FACTS पर कोई बात करने को तैयार नहीं है। आइए डालते हैं उन तथ्यों पर एक नजर, जिनके बारे में कोई बात नहीं कर रहा है। इनमें कुछ कन्हैया के पक्ष में हैं तो विपक्ष में, लेकिन ये इस प्रकरण की धुंधली तस्वीर को थोड़ा साफ जरूर करते हैं।
कन्हैया के पक्ष में अब तक सामने आए FACTS
1- डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट संजय कुमार ने जेएनयू केस की जांच के बाद दिल्ली सरकार को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें कन्हैया कुमार के खिलाफ कोई सबूत नहीं पाए जाने की बात कही गई है। हालांकि, रिपोर्ट में उमर खालिद की भूमिका की जांच कराने की बात कही गई है।
2- न्यूज चैनल ‘आज तक’ के ‘ऑपरेशन JNU’ नाम से किए गए स्टिंग में एक सुरक्षा गार्ड कहता दिख रहा है कि कन्हैया ने नारेबाजी नहीं की थी। जेएनयू के सुरक्षा सहायक अमरजीत के मुताबिक 9 फरवरी की शाम को कन्हैया साबरमती ढाबे पर मौजूद ही नहीं था। अमरजीत ने यह जरूर माना कि कन्हैया ने गंगा ढाबे के पास भाषण दिया था। बकौल अमरजीत कन्हैया ने भाषण भी इसलिए दिया था, क्योंकि डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन और एबीवीपी के सदस्य एक-दूसरे से भिड़ने वाले थे। अमरजीत दिल्ली पुलिस के लिए चश्मदीद गवाह भी हैं।
3- ‘आज तक’ के स्टिंग में हेड कॉन्सटेबल रामबीर ने यह भी दावा किया कि जेएनयू में अफजल के समर्थन में बीते तीन साल से कार्यक्रम हो रहा है, लेकिन अभी तक चुपचाप होता था। रामबीर ने यह भी कहा कि उमर खालिद ने देशविरोधी नारे लगाए थे।
4- दिल्ली हाईकोर्ट सवाल उठा चुका है कि जेएनयू में 9 फरवरी को नारेबाजी के वक्त जब सादे कपड़ों में पुलिस मौजूद थी तो फिर दिल्ली पुलिस ने चैनल के वीडियो का इंतजार क्यों किया? कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की खिंचाई करते हुए पूछा कि आपको पता भी है कि देशद्रोह होता क्या है?
5- कन्हैया कुमार पर लगे देशद्रोह के आरोप साबित करने के लिए दिल्ली पुलिस ने जिन 17 लोगों को गवाह बनाया है। उनमें से चार एबीवीपी के सदस्य हैं।
कन्हैया के विपक्ष में अब तक सामने आए FACTS
1- जेएनयू के रजिस्ट्रार भूपिंदर जुत्शी ने दावा किया है कि छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ विवादास्पद कार्यक्रम की इजाजत रद्द किए जाने पर एतराज जताया था। जुत्शी ने कुलपति एम जगदीश कुमार द्वारा गठित उच्च अधिकार प्राप्त जांच समिति के सामने यह बयान दिया है।
2- दिल्ली पुलिस के गवाहों में शामिल JNU के सिक्योरिटी ऑफिसर का कहना है कि कन्हैया ने विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था, जबकि 12 अन्य सुरक्षाकर्मियों का कहना है कि 15 से 20 छात्रों ने राष्ट्र विरोधी नारे लगाए थे और कन्हैया कुमार भी वहीं मौजूद था।
3- पुलिस के मुताबिक, चश्मदीदों ने कन्हैया कुमार को गैरकानूनी विरोध प्रदर्शन में शामिल होते देखा था, जिसमें देशविरोधी नारे लगाए गए थे। ‘जी न्यूज’ पर दिखाए गए प्रदर्शन के 30 मिनट के वीडियो में कन्हैया 17:30 मिनट पर दिखाई देता है।
4- कन्हैया के खिलाफ दर्ज रिपोर्ट में पांच छात्रों का स्टेटमेंट भी है, जिनमें एक बीजेपी के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सदस्य हैं। उसने अपने बयान में कहा है, 15 से 20 छात्र देशविरोधी नारे लगा रहे थे और कन्हैया भी उस वक्त वहां पर मौजूद था।
5- कन्हैया कुमार ने जेल से रिहा होने के बाद कई बार उमर खालिद का परोक्ष और प्रत्यक्ष तौर पर समर्थन किया है। ऐसे में उसकी मंशा पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि उमर खालिद के खिलाफ पुलिस के पास पुख्ता सबूत हैं और अभी तक किसी भी एजेंसी ने उसे क्लीन चिट नहीं है। ऐसे में कन्हैया कुमार को उमर खालिद का समर्थन भारी पड़ सकता है।
कन्हैया कुमार के बारे में FACTS
1- कन्हैया कुमार को राष्ट्रद्रोह के आरोप में 12 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था।
2- कन्हैया कुमार को 10 हजार रुपए के निजी मुचलके पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 2 मार्च को छह माह के लिए अंतरिम जमानत दे दी थी।
3- कन्हैया कुमार ने कोर्ट में दावा किया गया है कि उसने कभी देशविरोधी नारे नहीं लगाए।
4- दिल्ली पुलिस का दावा है कि उसके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं, जिनमें कन्हैया अफजल के पोस्टर हाथ में लिए दिख रहा है और नारेबाजी भी कर रहा है।
5- कन्हैया कुमार ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि उनके बड़े भाई सीआरपीएफ में थे और मारे गए। उनका नाम पप्पू था।
क्या कहते हैं कन्हैया
कन्हैया कुमर ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा, ‘एक confusion है। पुलिस को लगता है कि हम प्रेजिडेंट हैं कैंपस के तो हमारी अनुमति से ही सब कुछ होता है। इसको एक उदाहरण से स्पष्ट करना चाहता हूँ। मैं कोई permitting authority नहीं हूँ। मेरी परमिशन से कैंपस में चीज़ें नहीं होती हैं और मुझे लगता है कि ये मेरे दायरे में भी नहीं है।’