केंद्र सरकार लगातार दावा कर रही है कि अनुच्छेद 370 और 35 ए की समाप्ति की बाद जम्मू-कश्मीर में बदलाव हो रहे हैं। सरकार का दावा हा कि वहां पत्थरबाजी अब लगभग समाप्त हो गई है। इसी बीच सरकार जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा एक नई जानकारी दी गई है, जो इस बड़े बदलाव से संभव हुई। सरकार ने बताया है कि पिछले दो सालों में 83 हजार से अधिक लोगों को राज्य का स्थायी निवासी बनाया गया है। ये नागरिक इससे पहले जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासी नहीं थे।

जम्मू-कश्मीर विधानसभा सत्र के दौरान पीडीपी विधायक वहीद उर रहमान पारा के पूछे गए सवाल के दौरान राजस्व विभाग की ओर से बताया गया कि पिछले दो वर्षों में कुल 35,12,184 लोगों का निवास प्रमाण पत्र जारी किया गया है, जिसमें से 83,742 ऐसे लोग है जो पहले राज्य स्थायी निवासी के रुप में योग्य नहीं थे। यानी कि विशेष राज्य की वजह से उन लोगों को नागरिकता नहीं मिल पा रही थी।

1954 के बाद नहीं दी गई थी नागरिकता

राजस्व विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, राज्य विषय शब्द का तात्पर्य जम्मू कश्मीर के स्थायी निवासियों से है। यानी जम्मू-कश्मीर संविधान में इसके बारे में बताया गया था जो अब राज्य में लागू नहीं होती।  पूर्ववर्ती नियम के अनुसार, भारत का नागरिक इन शर्तों के तहत ही तत्कालीन राज्य का स्थायी निवासी था। पहला यदि कोई 14 मई 1954 से पहले राज्य में कानूनी रूप से अचल संपत्ति अर्जित की थी और साथ ही उस तारीख से कम से कम 10 साल तक राज्य में सामान्य तरीके से रह रहा हो।

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या फिर वे लोग जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के रहने वाले थे। लेकिन राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानून के तहत पुनर्वास के लिए परमिट के तहत वापस भारत के कश्मीर आ गए थे। साल 1846 में प्रथम डोगरा राजा महाराजा गुलाब सिंह के शासनकाल के प्रारंभ होने से पहले राज्य में पैदा हुए और निवासी थे। साथ ही वे लोग जो जम्मू-कश्मीर में बस गए थे और 1885 से पहले राज्य में स्थायी रूप से निवास कर रहे थे। द्वितीय श्रेणी में वे लोग शामिल थे जो अन्य जगहों से आकर जम्मू-कश्मीर में स्थायी रूप से बस गए थे, और जिन्होंने संवत साल 1911 के समापन से पहले वहां अचल संपत्ति अर्जित की थी। उस समय महाराजा प्रताप सिंह सिंहासन पर थे।

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जानें क्या है जम्मू-कश्मीर न्यू डोमिसाइल रूल

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के कुछ महीनों बाद मई 2020 में जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने ‘जम्मू-कश्मीर डोमिसाइल प्रमाण पत्र अनुदान (प्रक्रिया) नियम 2020’, अधिसूचना जारी की। जिसमें केंद्र शासित प्रदेश में डोमिसाइल प्रमाण पत्र जारी करने के नियमों को परिभाषित किया गया।

इससे पहले केंद्र ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन आदेश 2020 जारी किया था। जिसमें डोमिसाइल को ऐसे किसी भी व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया था। “जो 15 साल की अवधि के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में रहता है या सात साल की अवधि के लिए अध्ययन किया है और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में स्थित किसी शैक्षणिक संस्थान में कक्षा 10वीं/12वीं की परीक्षा में शामिल हुआ है”। इसने उन लोगों को अनुमति दी जो इस मानदंड को पूरा करते थे, लेकिन पहले “स्थायी निवासी” के दायरे में नहीं थे, उन्हें केंद्र शासित प्रदेश के नागरिकों की गिनती में शामिल किया जा सकता था।