बगावत पर उतारू बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी जल्द अपने पद से हटाए जा सकते हैं क्योंकि जद (एकी) की शनिवार को होने वाली विधायक दल की बैठक में उनकी जगह नीतीश कुमार को फिर से मुख्यमंत्री बनाए जाने के संकेत मिल रहे हैं। दूसरी ओर मांझी ने विरोधी खेमे पर हमला बोलते हुए शुक्रवार रात राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी से अपने दो मंत्रियों को बर्खास्त करने की सिफारिश की जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का करीबी समझा जाता है।
उच्च पदस्थ सूत्रों ने बताया कि मांझी ने सड़क निर्माण विभाग मंत्री राजीव रंजन सिंह ललन और वन राज्यमंत्री पीके शाही को हटाने की सिफारिश राज्यपाल को भेजी और कहा कि इनकी गतिविधियां सरकार के हित में नहीं हैं। ललन और शाही को नीतीश का करीबी समझा जाता है और मांझी खेमे को लगता है कि उन्हें मुख्यमंत्री के पद से हटाने की कोशिशों में वे भी आगे हैं।
लोकसभा चुनावों में हार के बाद नीतीश कुमार की जगह मांझी के पद संभालते ही वे विवादों में आ गए और पार्टी नीतीश को फिर से मुख्यमंत्री पद देकर इस साल के अंत तक होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सब कुछ व्यवस्थित करना चाहती है।
दोनों गुटों के बीच शुक्रवार को रस्साकशी जारी रही। महादलित समुदाय से आने वाले मांझी ने शनिवार की बैठक को ‘अवैध’ करार दिया और सदन का नेता होने के नाते उन्होंने 20 फरवरी को बैठक आहूत की है। इस बैठक में शामिल होने के बजाए विपरीत रुख अपनाए मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठक में शिरकत करने के लिए शनिवार को दिल्ली जाने की योजना बना रहे हैं जहां वे रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली बैठक में शिरकत कर सकते हैं।
लोकसभा चुनावों में जद (एकी) की हार के बाद नीतीश की जगह अस्थायी तौर पर लाए गए मांझी को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है और जद (एकी) के महासचिव केसी त्यागी ने इस तरह के संकेत भी दिए हैं। त्यागी ने कहा-शनिवार शाम चार बजे के बाद मांझी जनता दल (एकी) विधायक दल के नेता नहीं रहेंगे। नीतीश की वापसी में राजद प्रमुख लालू प्रसाद, समाजवादी पार्टी के नेता मुलायम सिंह यादव और जद (एकी) के प्रमुख शरद यादव का समर्थन है।
मांझी के नीति आयोग की बैठक के लिए दिल्ली जाने की योजना के बारे में पूछने पर त्यागी ने कहा-किस हक से वे ऐसा करेंगे जब वे मुख्यमंत्री ही नहीं रहेंगे। पिछले कुछ दिनों से मांझी के विवादास्पद बयानों और गतिविधियों को देखते हुए उन्हें हटने के आदेश देने का निर्णय करना आवश्यक हो गया है। शीर्ष नेताओं द्वारा उन्हें रास्ता बदलने की सलाह देने के बावजूद उन्होंने ऐसा किया।
त्यागी ने कहा कि 2010 में बिहार में जनादेश नीतीश कुमार के नाम पर मिला था और मांझी केवल अस्थायी व्यवस्था के तहत आए थे। पार्टी अध्यक्ष शरद यादव की तरफ से बुलाई गई बैठक के लिए पार्टी के 111 विधायकों और 41 विधान पार्षदों को नोटिस भेजा गया है जिसमें मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और नीतीश कुमार भी शामिल हैं। जद (एकी) के महासचिव केसी त्यागी ने पत्रकारों से कहा कि मांझी को पार्टी से हटाया जा सकता है अगर उन्होंने अनुशासन तोड़ा और शनिवार की बैठक में शामिल नहीं हुए। वहीं मांझी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताई। उन्होंने खगड़िया में पत्रकारों से कहा कि त्यागी पागल हो गए हैं।
दोनों समूहों के बीच लड़ाई शुक्रवार को सड़क पर आ गई। नीतीश और मांझी के समर्थकों के बीच जद (एकी) मुख्यालय के बाहर संघर्ष हो गया। पार्टी सूत्रों ने बताया कि दलित मुसहर चेतना समिति के बैनर तले कुछ लोग पार्टी कार्यालय के बाहर एकत्रित हुए और नीतीश कुमार के खिलाफ नारेबाजी की और उनका पुतला जलाया। पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जितेंद्र राणा ने कहा कि घटना के बाद वहां पुलिस बल को तैनात कर दिया गया है।
प्रदर्शनकारियों ने कुछ लोगों पर कथित रूप से हमला किया जिन्हें पूर्व मुख्यमंत्री का समर्थक माना जाता है। त्यागी ने पार्टी अध्यक्ष की बुलाई गई बैठक को ‘वैध’ करार दिया। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि जद (एकी)संविधान के नियम 21 के तहत पार्टी अध्यक्ष को विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार है। बहरहाल भाजपा ‘इंतजार करो और देखो’ की नीति अपना रही है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने कहा-हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं और सही समय पर निर्णय करेंगे। भाजपा के लिए सभी विकल्प खुले हुए हैं। उनसे पूछा गया था कि अगर मांझी को उनकी ही पार्टी हटाती है तो क्या वे उन्हें समर्थन देंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्री वृषिण पटेल, नीतीश मिश्रा, महाचंद्र प्रसाद सिंह और नरेंद्र सिंह सहित कुछ मंत्री अपना समर्थन व्यक्त करने मुख्यमंत्री आवास पर आए थे। बागी जद (एकी) विधायक ज्ञानेंद्र सिंह ज्ञानू और रवींद्र राय भी अपनी रणनीति बनाने मांझी के आवास पर आए थे। नीतीश का आवास भी गतिविधियों का केंद्र रहा। शुक्रवार को पार्टी के दलित, महादलित व अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम नीतीश के आवास पर आयोजित हुआ। जद (एकी) अध्यक्ष शरद यादव, केसी त्यागी और काफी संख्या में मंत्री वहां मौजूद थे।
243 सदस्यीय बिहार विधानसभा में जद (एकी) के 115 विधायक, भाजपा के 88, राजद के 24, कांग्रेस के पांच, भाकपा का एक और निर्दलीय पांच विधायक हैं जबकि पांच सीट रिक्त हैं। त्यागी ने कहा कि जद (एकी) को विधानसभा में बहुमत हासिल है और सदन में वह अपना बहुमत साबित कर सकती है। राज्य के मंत्री श्रवण कुमार ने बताया कि विधानसभा अध्यक्ष के सदस्यता खत्म किए आठ विधायकों के अलावा सभी 111 पार्टी विधायकों और 41 विधान पार्षदों को शरद यादव ने शनिवार की ‘अत्यावश्यक’ बैठक में शामिल होने के लिए नोटिस भेज दिया है।
पीके शाही, राजीव रंजन सिंह ललन और बिजेंद्र यादव सहित कुछ अन्य मंत्रियों ने शुक्रवार को विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी के साथ बैठक की। पार्टी में राजनीतिक उठापटक के लिए बिहार के मुख्यमंत्री मांझी को जिम्मेदार ठहराते हुए त्यागी ने कहा कि हद हो गई। मांझी द्वारा जद (एकी) की डुबोई जा रही नौका को अब नीतीश कुमार उबारेंगे।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने मांझी को हटाने और नीतीश कुमार को पद संभालने के लिए हरी झंडी दिखा दी है। उन्होंने कहा कि राजद का समर्थन पार्टी को है न कि किसी व्यक्ति विशेष को। कांग्रेस ने कहा कि वह स्थिति पर नजर रखे हुए है। बाद में नीतीश कुमार पर हमला करते हुए मांझी ने पूर्व मुख्यमंत्री को भीष्म पितामह बताया जिनकी चुप्पी ने जद (एकी) में तनाव बढ़ा दिया है। सहरसा जिले के धीना गांव में एक समारोह को संबोधित करते हुए मांझी ने दावा किया कि जिस दिन उन्होंने गरीबों के बारे में बात करनी शुरू की उस दिन से नीतीश ने उनसे बात करना बंद कर दिया।
मांझी ने त्यागी को ‘यमदूत’ बताया। मांझी ने दावा किया कि नीतीश जब मुख्यमंत्री थे तो विधायकों को भी उनसे मुलाकात करने में छह महीने का समय लग जाता था। बहरहाल मांझी ने कहा कि जब वे मुख्यमंत्री बने तो विधायकों, नेताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए दरवाजे खोल दिए। समारोह में मांझी के साथ कोई भी मंत्री या जिला जद (एकी) नेता नहीं दिखा। मधेपुरा से राजद के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव और जद (एकी) के दलित विधायक रत्नेश सादा उनके साथ थे।
बहरहाल शरद यादव जिस होटल में ठहरे हुए वहां सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बड़ी संख्या में मांझी समर्थकों की नारेबाजी करते हुए इकट्ठा होने को देखते हुए ऐसा किया गया है। करीब आधा दर्जन से ज्यादा जद (एकी)विधायकों ने पार्टी मुख्यालय के बाहर हिंसा के विरोध में धरना दिया। राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी के पटना पहुंचने की कोई खबर नहीं है। त्रिपाठी पश्चिम बंगाल और मेघालय के राज्यपाल भी हैं।
रिश्तों में दरार के बाद नीतीश पर वार:
मांझी ने जद (एकी) अध्यक्ष शरद यादव की शनिवार की बुलाई बैठक को ‘अवैध’ करार दिया और सदन का नेता होने के नाते 20 फरवरी को ‘वैध’ बैठक बुलाई है। आज होने वाली ‘अवैध’ बैठक में शामिल होने के बजाए मुख्यमंत्री नीति आयोग की बैठक में शिरकत करने के लिए दिल्ली जाने की योजना बना रहे हैं जहां वे रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली बैठक में शिरकत कर सकते हैं।
मांझी ने कहा कि नीतीश जब मुख्यमंत्री थे तो विधायकों को भी उनसे मुलाकात करने में छह महीने लग जाते थे। जब वे मुख्यमंत्री बने तो विधायकों और पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए दरवाजे खोल दिए। उन्होंने नीतीश को भीष्म पितामह बताया जिनकी चुप्पी ने तनाव बढ़ा दिया है। दावा किया कि जिस दिन मैंने गरीबों के बारे में बात करनी शुरू की उस दिन से नीतीश ने मुझसे बात करनी बंद कर दी।