रिलायंस फाउंडेशन के जियो इंस्टीट्यूट को केंद्र सरकार ने देश के 6 प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थानों में शामिल किया है। जिस सरकारी कमेटी ने यह फैसला किया, उसके सामने प्रेजेंटेशन देने वाली रिलायंस टीम का नेतृत्व खुद मुकेश अंबानी ने किया था। अंबानी के साथ उनके शिक्षा सलाहार विनय शील ओबेरॉय भी थे, जो कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय में सचिव रहे हैं। ओबेरॉय उस 8 सदस्यीय टीम का हिस्सा थे जिसने पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एन गोपालास्वामी की अध्यक्षता में बनी कमेटी के सामने प्रेजेंटेशन दिया। द इकॉनमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, मुकेश अंबानी को इंस्टीट्यूट के सभी पहलुओं के बारे में अच्छे से पता था और उन्होंने अकेले ही कमेटी के सभी सवालों के जवाब दिए। इस यूनिवर्सिटी को अंबानी का ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ कहा जा रहा है। बताया जाता है कि अंबानी ने यूपीए-2 सरकार के सामने भी यह प्रस्ताव रखा था।
इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस योजना (IoE) की घोषणा 2016 में की गई थी, तब इसे वर्ल्ड क्लास इंस्टीट्यूट्स प्रोग्राम कहा गया था। उस समय ओबेरॉय, एचआरडी मिनिस्ट्री में उच्च शिक्षा के सचिव थे। योजना से जुड़े पहलुओं पर मंत्रालय और पीएमओ के बीच चर्चा 2016 में चलती रही। इस साल फरवरी में कमेटी का गठन किया गया और अप्रैल से प्रेजेंटेशन शुरू हुए।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारियों को रिटायरमेंट के बाद व्यापारिक प्रतिष्ठानों में नौकरी के लिए एक साल का कूलिंग पीरियड पार करना होता है। 1979 बैच के आईएएस अधिकारी रहे ओबेरॉय ने यह समय पूरा करने के बाद मार्च, 2018 में रिलायंस के साथ काम शुरू किया।
रिलायंस ने जियो इंस्टीट्यूट के लिए ‘ग्रीनफील्ड’ श्रेणी के तहत आवेदन किया था। यह संस्था महाराष्ट्र के करजाट में 800 एकड़ भूमि पर बनाई जानी है। इस श्रेणी में चयनित होने वाली यह इकलौती संस्था है। रिलायंस के अलावा इस श्रेणी में भारतीय एयरटेल, वेदांता और क्रिया फाउंडेशन जैसों ने भी आवेदन किया था।
जियो इंस्टीट्यूट के अलावा कमेटी ने जिनका चयन किया है, उनमें आईआईटी दिल्ली, आईआईटी बॉम्बे, आईआईएससी बेंगलुरु, बिट्स पिलानी और मनिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन शामिल हैं।