फरवरी के पहले दिन गुरुवार 1 तारीख की सुबह झारखंड में कोई सीएम नहीं रहेगा। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने सत्तारूढ़ जेएमएम-कांग्रेस गठबंधन से कहा है कि वे चंपई सोरेन को विधायक दल का नेता नियुक्त करने के प्रस्ताव पर सभी कानूनी मुद्दों पर विचार करने के बाद ही फैसला लेंगे। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा गिरफ्तारी से कुछ समय पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार रात राजभवन में राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। विपक्ष को राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की आशंका लग रही है।
JMM, कांग्रेस और RJD गठबंधन के पास 29, 17 और 1 विधायक हैं
जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी के सत्तारूढ़ गठबंधन के पास क्रमशः 29, 17 और एक विधायक हैं। विपक्ष में बीजेपी के पास 26 और आजसू (AJSU) के पास तीन विधायक हैं। सीपीआई (एम-एल) और एनसीपी (एपी) के पास एक-एक विधायक हैं जबकि दो निर्दलीय विधायक हैं। सूत्रों ने कहा कि राज्यपाल के तुरंत सकारात्मक रुख नहीं दिखाने से जेएमएम-कांग्रेस खेमे में कुछ बेचैनी दिख रही है।
राज्यपाल ने सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों से नहीं की मुलाकात
कांग्रेस विधायक दीपिका पांडे सिंह ने कहा कि राज्यपाल ने सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों से मुलाकात नहीं की। उन्होंने कहा, “हमें राज्यपाल द्वारा समय दिया गया और फिर अनादरपूर्वक जाने के लिए कहा गया। हमारा बहुमत देखने के बाद हमें बाहर कर दिया गया है। राजभवन बीजेपी के एजेंट की तरह काम कर रहा है और सभी निर्वाचित नेताओं को जाने के लिए कहा गया।”
जेएमएम नेता चंपई सोरेन ने कहा- विधायक दल का नेता चुना गया हूं
राज्यपाल को लिखे पत्र में चंपई सोरेन ने कहा, “जेएमएम विधायक दल की बैठक में मुझे विधायक दल का नेता चुना गया है। इसके बाद आज ही गठबंधन दलों के सभी माननीय विधायकों ने सर्वसम्मति से मुझे संयुक्त विधायक दल का नेता चुना है। इसके साथ ही मैं विधायक दल के नेता, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल के नेता, विधायक एवं अन्य के समर्थन पत्र भी इस पत्र के साथ पेश कर रहा हूं। इस प्रकार मेरे पास 47 माननीय सदस्यों का समर्थन है, जो बहुमत के आंकड़े से कहीं अधिक है। इसलिए, मैं आपसे सम्मानपूर्वक अनुरोध करता हूं कि आप मेरे दावे को स्वीकार करें और नई सरकार के गठन के लिए मुझे मुख्यमंत्री नियुक्त करने की कार्रवाई करें।”
सत्तारूढ़ गठबंधन के सूत्रों ने कहा कि उत्तराधिकारी की नियुक्ति न होने से “संवैधानिक संकट” पैदा हो सकता है। एक नेता ने कहा, “हमारे पास बहुमत है; राज्यपाल को क्या रोक रहा है? अभी तक कोई कार्यवाहक सीएम भी नहीं है। जब कोई खामियां नहीं हैं तो राज्यपाल किससे परामर्श करना चाहते हैं?”
एक अन्य नेता ने कहा: “इससे लोगों को हस्तक्षेप करने का समय मिल जाता है… अगर अगले कुछ दिनों में नया मुख्यमंत्री शपथ नहीं लेता है, तो यह एक बड़ी समस्या होगी।” पूर्व बीजेपी नेता और निर्दलीय विधायक सरयू राय ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा, “मुख्यमंत्री पद से हेमंत सोरेन का इस्तीफा माननीय राज्यपाल द्वारा स्वीकार किए जाने के बाद झारखंड में कोई मुख्यमंत्री नहीं है, कोई सरकार नहीं है। राज्य में संवैधानिक संकट पैदा हो गया है। वैकल्पिक सरकार बनने तक राज्य में अल्पकालिक राष्ट्रपति शासन ही एकमात्र विकल्प है।”
हालांकि, झारखंड स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “फिलहाल चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि हम बहुमत में हैं। सरकार वैसे ही काम करेगी जैसे पहले चल रही थी। मुझे नहीं लगता कि कोई खतरा है – हमारे पास बहुमत है और हम किसी भी समय बहुमत साबित करेंगे।”