हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली है। हालांकि अभी तक झारखंड में मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हो पाया है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस और आरजेडी कई अहम मंत्रालय मांग रहे हैं। झारखंड में सीएम समेत 12 मंत्री मंत्रिमंडल का हिस्सा हो सकते हैं। इस बीच सीपीआई-एमएल ने घोषणा की है कि वह किसी भी मंत्री पद पर दवा नहीं करेगी। झारखंड में जेएमएम के सहयोगी आरजेडी ने चार सीटें जीती है और वहां दो मंत्रालय चाहती है। वहीं कांग्रेस पार्टी ने 16 सीटों पर जीत हासिल की है और चार मंत्रालय की मांग कर रही है।
कांग्रेस कर रही इस फॉर्मूले का जिक्र
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “चीजें (सरकार गठन के संबंध में) दिसंबर के पहले सप्ताह के भीतर स्पष्ट होनी चाहिए। फार्मूले (प्रति चार विधायक सीटों पर एक मंत्री) के अनुसार कांग्रेस को चार कैबिनेट पद मिलेंगे। कैबिनेट में किसे जगह मिलेगी, यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है।” पिछली सोरेन कैबिनेट में कांग्रेस के चार मंत्री थे। इनके नाम रामेश्वर ओरांव, बन्ना गुप्ता, इरफान अंसारी और दीपिका पांडे हैं। बन्ना गुप्ता को छोड़कर (जमशेदपुर पश्चिम से हार गए) अन्य मंत्रियों ने बढ़े हुए अंतर के साथ अपनी सीटें बरकरार रखीं।
RJD को चाहिए दो मंत्री पद
पिछली सोरेन सरकार में आरजेडी के तत्कालीन इकलौते विधायक सत्यानंद भोक्ता श्रम संसाधन मंत्री थे। एक आरजेडी नेता ने कहा, “हमें नए झारखंड मंत्रिमंडल में कम से कम एक और मंत्री पद मिलना निश्चित है। हमारा एकमात्र विधायक पिछली बार मंत्री था। पार्टी के पास अभी चार विधायक हैं और इस पर शीर्ष स्तर पर चर्चा हो चुकी है। चूंकि बिहार में अगले साल चुनाव होने हैं, ऐसे में सरकार में छोटे सहयोगियों को सम्मानजनक प्रतिनिधित्व इंडिया गठबंधन के लिए एक अच्छा संदेश देगा।”
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हालांकि झारखंड आरजेडी के प्रवक्ता राकेश शर्मा ने कहा कि इस मामले पर जेएमएम और कांग्रेस के शीर्ष नेता जल्द ही सामूहिक रूप से निर्णय लेंगे। शनिवार को मीडिया से बात करते हुए सीपीआई (एम-एल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने झारखंड में लोगों के जनादेश के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “भाजपा ने एक कटु अभियान का नेतृत्व किया। लेकिन लोगों ने इसे कुछ और ही दिखाया। केंद्र सरकार को भी इस जनादेश का सम्मान करना होगा। इस बार हमारे पास दो विधायक हैं और हम विधानसभा के अंदर और बाहर दोनों जगह प्रासंगिक मुद्दों को उठाने का प्रयास करेंगे। सीपीआई (एमएल) एल इंडिया ब्लॉक समन्वय समिति का हिस्सा होगी, लेकिन किसी भी मंत्री पद का दावा करने के लिए दबाव नहीं डालेगी।”
झामुमो के एक नेता ने कहा कि मंत्रिमंडल की रूपरेखा को लेकर सहयोगियों के बीच चर्चा जारी है। उन्होंने कहा, “विधायकों की यह बढ़ी हुई संख्या मंत्रिमंडल गठन में देरी का कारण है। झामुमो की ताकत भी 2019 में 30 सीटों की तुलना में बढ़कर 34 हो गई है। चूंकि मंत्रिमंडल में जगह सीमित है, इसलिए हमें सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखते हुए अच्छे नामों की तलाश करनी होगी।: कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि इंडिया गठबंधन झारखंड से एकता का संकेत भेजना चाहता है और इसलिए यदि कोई छोटा-मोटा मुद्दा है तो उसे सुलझाने में समय ले रहा है।
गठबंधन के एक नेता ने कहा कि मंत्रिमंडल का गठन नवगठित झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र शुरू होने से चार दिन पहले 5 दिसंबर तक पूरा होने की संभावना है। उन्होंने कहा, “यह देखना बाकी है कि झामुमो के नेतृत्व वाली सरकार में कितने मंत्री के रूप में शपथ लेंगे।” पढ़ें झारखंड में करारी हार के बाद हिमंत बिस्वा सरमा का पहला बयान