मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले से आने वाले 17 वर्षीय माजिद मुजाहिद हुसैन ने देशभर में नाम रौशन कर दिया है। JEE एडवांस्ड 2025 में उन्होंने 360 में से 330 अंक हासिल कर ऑल इंडिया रैंक 3 पाई है। उनकी इस ऐतिहासिक सफलता पर पूरे बुरहानपुर में जश्न का माहौल है। मुख्यमंत्री मोहन यादव से लेकर शिक्षकों और परिजनों तक, हर कोई माजिद की मेहनत को सलाम कर रहा है।
माजिद ने बताया कि उन्होंने 10वीं कक्षा से ही JEE की तैयारी शुरू कर दी थी। दो वर्षों तक उन्होंने हर दिन लगभग 12 घंटे पढ़ाई की और किसी भी तरह के ध्यान भटकाने वाले तत्वों से खुद को दूर रखा। माजिद ने कहा, “मैंने कभी सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं किया। मेरे पास आईपैड था, जिसे मैंने पूरे दिन इस्तेमाल किया, लेकिन सिर्फ पढ़ाई के लिए। फोन का उपयोग सप्ताह में एक घंटे सिर्फ परिवार से बात करने के लिए करता था।”
कोचिंग और आत्म-अनुशासन से बनी सफलता की राह
माजिद ने शुरुआत बुरहानपुर के एक स्थानीय स्कूल से की और फिर आगे की पढ़ाई के लिए एक रेजिडेंशियल स्कूल में दाखिला लिया। प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए उन्होंने एक प्रतिष्ठित निजी कोचिंग संस्थान का सहारा लिया। वे मानते हैं कि कोचिंग, शिक्षकों का सहयोग और आत्म-अनुशासन उनके इस सफर की सबसे बड़ी ताकत रहे।
मां-बाप का समर्थन बना प्रेरणा का स्तंभ
माजिद के पिता मुजाहिद हुसैन एक विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं और मां सकीना हुसैन एक गृहिणी। सकीना ने कहा, “हमने कभी माजिद पर पढ़ाई का बोझ नहीं डाला, लेकिन उसकी जिज्ञासा को बढ़ावा दिया। यही उसका आधार बना।” माजिद की इस उपलब्धि पर परिवार ने उसे एक नई मोटरसाइकिल और मोबाइल फोन उपहार में दिया।
बुरहानपुर को बनाना चाहते हैं कोचिंग हब
माजिद की ख्वाहिश है कि उनका गृहनगर बुरहानपुर भी कोटा की तरह प्रतियोगी परीक्षाओं का हब बने। उन्होंने कहा, “मैं चाहता हूं कि यहां के बच्चों को भी वही सुविधाएं और मार्गदर्शन मिलें, जो बड़े शहरों में मिलते हैं।”
माजिद अब आईआईटी बॉम्बे में कंप्यूटर साइंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में विशेषज्ञता लेना चाहते हैं और भविष्य में एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने का सपना देखते हैं।
माजिद ने साफ कहा कि जेईई जैसी परीक्षाओं में सफलता के लिए कोई शॉर्टकट नहीं होता। “आपको दो साल तक पूरी निष्ठा और अनुशासन के साथ मेहनत करनी होती है। अगर आप रोज़ाना 12 घंटे की योजना बनाकर पढ़ाई करें, तो आप भी इस मुकाम तक पहुंच सकते हैं,” उन्होंने कहा।
माजिद की इस सफलता ने साबित कर दिया है कि सच्ची लगन, अनुशासन और तकनीक का सही इस्तेमाल करके कोई भी छात्र देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर सकता है — बशर्ते वो सोशल मीडिया की बजाय अपनी किताबों से दोस्ती करे।