बिहार चुनावों में महागठबंधन को मिली भारी जीत की गूंज संसद के शीतकालीन सत्र की में भी सुनाई देने की संभावना के बीच जनता दल (यूनाइटेड) की ओर से ऐसे संकेत दिए जा रहे हैं कि जिस जीएसटी विधेयक को इसने शुरुआत में समर्थन दिया था, अब यह उस मुद्दे पर व्यापक विपक्षी एकता के साथ खड़ा हो सकता है।
केंद्र की दलील है कि वस्तु एवं सेवा कर को लाने से बिहार जैसे उपभोक्ता राज्यों को लाभ मिलेगा और पिछले 10 साल से बिहार में शासन कर रहे जदयू द्वारा इसे समर्थन दिए जाने के पीछे की एक बड़ी वजह यही थी।
बिहार में राजग की करारी हार के बाद विपक्षी दलों के उत्साह के बीच, जदयू के वरिष्ठ नेताओं ने कहा है कि वे अन्य दलों के साथ विचार-विमर्श करने के बाद ही इस बारे में अंतिम फैसला करेंगे। जदयू के एक सांसद ने कहा, ‘अब परिस्थितियां नयी हैं। हम अन्य विपक्षी दलों के साथ विचार विमर्श करने के बाद फैसला लेंगे।’
महागठबंधन की घटक कांग्रेस ने इस विधेयक के कुछ प्रावधानों का विरोध किया है और इसने संसद के मानसून सत्र में भाजपा के कुछ शीर्ष नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोपों समेत कई मुद्दे उठाकर इस विधेयक के पारित होने के रास्ते में अवरोध पैदा कर दिया था।
जदयू और लालू प्रसाद की राजद के नेताओं ने कहा है कि आने वाले दिनों में अंतिम फैसला लिया जाएगा। राजद ने 10 साल के बाद बिहार की सत्ता में वापसी की है। दोनों क्षेत्रीय दलों का मानना है कि चूंकि कांग्रेस सबसे बड़ा विपक्षी दल है, इसलिए इस विधेयक पर उसकी चिंताओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
जीएसटी विधेयक सभी अप्रत्यक्ष करों को सम्मिलित करके एक ही दर पर ले आएगा और देश को एकीकृत करके एकल बाजार के रूप में परिवर्तित करेगा। इस विधेयक को लोकसभा में मंजूरी मिल चुकी है और राज्यसभा में इसे मंजूरी मिलनी अभी बाकी है।
राज्यसभा में जदयू के 12 सदस्य हैं। वहां राजग के पास बहुमत का काफी अभाव है। राजद के पास वहां महज एक ही सांसद है। भाजपा का महत्वाकांक्षी जीएसटी विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान प्रमुख मुद्दों में से एक रहेगा। सत्र की शुरुआत 26 नवंबर से होनी है।