RLD प्रमुख जयंत चौधरी हाल ही में NDA में शामिल हुए हैं। अपने दादा और पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने के ऐलान के बाद जयंत ने भाजपा से हाथ मिला लिया। 10 दिन पहले ही राष्ट्रीय लोक दल प्रमुख जयंत चौधरी द्वारा घोषित गठबंधन की औपचारिक पुष्टि पर भाजपा अभी चुप्पी साधे हुए है। हालांकि, बड़े नेताओं ने कहा कि गठबंधन लगभग तय हो चुका है पर दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता चिंतित हो रहे हैं।
दिल्ली में आरएलडी के केंद्रीय कार्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए अपने पिता और पार्टी के संस्थापक दिवंगत अजीत सिंह को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देने के बाद जयंत चौधरी ने पुष्टि की थी कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए में शामिल होगी। तब से आरएलडी किन सीटों पर चुनाव लड़ेगी इस पर कोई बयान सामने नहीं आया है। न ही जयंत का स्वागत करने वाले वरिष्ठ भाजपा नेताओं की कोई तस्वीर नहीं आई है।
इस मामले पर फैसला केंद्रीय नेतृत्व द्वारा लिया जा रहा
एक तरफ जहां पश्चिमी यूपी में भाजपा नेता चुप हैं वहीं, यह स्वीकार करते हुए कि इस मामले पर फैसला केंद्रीय नेतृत्व द्वारा लिया जा रहा है, आरएलडी सदस्यों ने कहा कि पार्टी पश्चिम यूपी की चार लोकसभा सीटों – बागपत, बिजनौर, कैराना और मथुरा के लिए बातचीत कर रही है। INDIA गठबंधन से बाहर निकलने के पीछे के कारण के बारे में पूछे गए सवालों को जयंत ने यह कहते हुए टाल दिया, “जब कोई औपचारिक घोषणा की जाएगी तो मैं खुले तौर पर उन सवालों का जवाब दूंगा जैसे कारण क्या थे, भविष्य के लिए हमारा विचार और हम अपने लोग और हमारे क्षेत्र लिए क्या करना चाहते हैं।”
‘गठबंधन अंतिम रूप ले चुका है और केवल औपचारिक घोषणा की प्रतीक्षा है’
इस बात पर जोर देते हुए कि गठबंधन अंतिम रूप ले चुका है और केवल औपचारिक घोषणा की प्रतीक्षा है आरएलडी नेता ने कहा, ‘पार्टी नेता चाहते हैं कि जयंत अपने परिवार की पारंपरिक सीट बागपत से लोकसभा चुनाव लड़ें।’ एक अटकलें यह हैं कि औपचारिक घोषणा बागपत लोकसभा क्षेत्र के छपरौली क्षेत्र में अजीत सिंह की प्रतिमा के अनावरण के समय हो सकती है। आयोजन की प्रारंभिक तिथि 12 फरवरी थी। आरएलडी सूत्रों ने बताया कि प्रतिमा का अनावरण करने के लिए आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद छपरौली आ सकते हैं।
वहीं, सूत्रों की मानें तो पंजाब के किसानों द्वारा जारी आंदोलन और उनके खिलाफ हरियाणा सरकार के सख्त कदमों ने स्थिति को बिगाड़ दिया है। इस मुद्दे पर जयंत की चुप्पी पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। एक आरएलडी नेता ने कहा, “एक बार जब किसान सरकार के साथ समझौता कर लेंगे तो यह भाजपा-आरएलडी गठबंधन की घोषणा के लिए बेहतर माहौल होगा। अभी, भाजपा और रालोद दोनों इस मुद्दे पर सवालों का सामना कर रहे हैं।”
