JNU छात्र संघ चुनाव स्थगित कर दिया गया है। दरअसल, कैंपस में बीते दो दिनों में दो बार हुई हिंसक वारदात के बाद जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव समिति ने चुनाव प्रक्रिया को ही स्थगित करने का फैसला लेना पड़ा है। अध्यक्ष के बाद हिंसा के बाद शत्रुता, भय और असुरक्षा के माहौल को देखते हुए पूरी चुनाव प्रक्रिया को स्थगित करने का निर्णय लिया गया है।

चुनाव समिति के अध्यक्ष विकास के मोहानी ने जारी नोटिस में कहा, ‘सभी संबंधित पक्षों को सूचित किया जाता है कि 17 अप्रैल और 18 अप्रैल को चुनाव समिति कार्यालय और चुनाव समिति के सदस्यों पर हिंसा और तोड़फोड़ की हालिया घटनाओं ने चुनाव प्रक्रिया को गंभीर रूप से बाधित किया है। सुरक्षा में बड़ी चूक और हिंसा के बाद शत्रुता, भय और असुरक्षा के माहौल को देखते हुए, पूरी चुनाव प्रक्रिया को स्थगित करने का निर्णय लिया गया है। अगली सूचना तक उम्मीदवारों की अंतिम सूची भी रोक दी गई है।’

अध्यक्ष ने कहा-‘जेएनयू छात्रसंघ चुनाव समिति चुनाव प्रक्रिया को तभी फिर से शुरू करेगी जब चुनाव आयोग के सदस्यों की सुरक्षा प्रशासन और छात्र संगठनों द्वारा सुनिश्चित की जाएगी।’ उन्होंने प्रेस को दिए बयान में कहा, ‘चुनाव समिति यह भी मांग करती है कि प्रशासन हिंसा करने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई करे। चुनाव समिति आगे किसी भी तरह की धमकी और हिंसा को बर्दाश्त नहीं करेगी। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि चुनाव आयोग द्वारा प्रशासन से पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने के लगातार अनुरोध के बावजूद, प्रशासन ने संतोषजनक तरीके से जवाब नहीं दिया है। चुनाव आयोग निष्पक्ष और लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है और शांति बहाल होने के बाद ही काम करना फिर से शुरू करेगा।’

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ABVP ने की चुनाव स्थगित होने की निंदा

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने कहा कि वह इस अलोकतांत्रिक और पक्षपातपूर्ण रवैए की निंदा करती है। ABVP ने कहा, “जेएनयू इलेक्शन कमिटी जो निष्पक्षता की प्रतीक होनी चाहिए थी, वह कठपुतली के रूप में कार्य कर रही है। एबीवीपी मांग करती है कि चुनाव प्रक्रिया को छात्रों के लोकतांत्रिक अधिकारों का सम्मान करते हुए तत्काल बहाल किया जाए और चुनावों को स्वतंत्र, निष्पक्ष और भयमुक्त वातावरण में संपन्न कराया जाए।” एबीवीपी ने दावा किया कि जेएनयू इलेक्शन कमिटी ने न केवल चुनाव प्रक्रिया को बाधित किया बल्कि नामांकन की अंतिम तिथि के समापन के बाद भी रिविजन और नॉमिनेशन वापस लेने जैसी अप्रत्याशित और असंवैधानिक कार्रवाइयों को अंजाम दिया।

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एबीवीपी ही हिंसा के लिए जिम्मेदार- जेएनयू छात्र संगठन

वहीं, दूसरी ओर जेएनयू के वाम गठबंधन वाले छात्र संगठन ने चुनाव रोके जाने के लिए एबीवीपी को जिम्मेदार ठहराया है। उसने कहा, “एबीवीपी के तत्वों ने चुनाव आयोग के सदस्यों के खिलाफ हिंसा का सहारा लिया है। जहां उन्होंने चुनाव आयोग के सदस्यों को बंधक बना लिया और उन्हें डराया-धमकाया, जब चुनाव आयोग ने 30 मिनट के लिए नामांकन वापसी की प्रक्रिया फिर से शुरू की। एबीवीपी की भीड़ ने चुनाव आयोग पर पथराव किया, कांच की खिड़कियां तोड़ दीं, चुनाव आयोग के सदस्यों को संघ कार्यालय की छत पर खदेड़ दिया और चुनाव प्रक्रिया को पटरी से उतारने के लिए बैरिकेड्स तोड़ दिए।” आइसा-डीएसएफ ने कहा कि हम छात्र समुदाय और जेएनयूएसयू चुनाव समिति के साथ खड़े हैं। पढ़ें- जेएनयू चुनाव से पहले उथल-पुथल, यूनाइडेट लेफ्ट अलायंस में टूट