हरियाणा में जाट आंदोलन की मांग को लेकर किए गए हिंसक आंदोलन के बाद राज्‍य सरकार ने आरक्षण को हरी झंडी दिखा तो दी है, लेकिन इसने कई सवाल भी खड़े कर दिए हैं। हरियाणा देश का इकलौता राज्‍य नहीं है, जहां आरक्षण की मांग हो रही है और न ही जाट अकेला ऐसा समुदाय है, जो आरक्षण चाहता है। जाटों को आरक्षण देना सही या गलत, इस बारे में कोर्ट और सरकार को ही तय करना है, लेकिन इतना तो तय लग रहा है कि जाटों के आरक्षण की मांग को स्‍वीकार किए जाने के बाद कई राज्‍यों में अलग-अलग समुदाय आरक्षण की मांग तेज कर सकते हैं।

गुजरात में पाटीदार :

6 जुलाई 2015 को 22 साल के युवक हार्दिक पटेल ने ‘पाटीदार अनामत आंदोलन समिति’ नाम का संगठन बनाकर आरक्षण की मांग की। पाटीदारों को ओबीसी लिस्‍ट में शामिल करने के लिए अहमदाबाद में 25 अगस्‍त को विशाल रैली निकाली गई, जिसमें दंगा हो गया। रैली में हिंसा के दौरान पाटीदार समुदाय के नौ युवकों की मौत हो गई, जबकि एक पुलिसकर्मी भी मारा गया। गुजरात पुलिस के दस्‍तावेजों के मुताबिक, जून से दिसंबर 2015 तक पाटीदार समुदाय ने 1251 विरोध प्रदर्शन किए।गुजरात में पाटीदार समुदाय के ज्‍यादातर लोग खेती-बाड़ी करते हैं और सबसे संपन्‍न माने जाते हैं। पाटीदार समुदाय का वोट प्रतिशत करीब 14 प्रतिशत है और वे पारंपरिक तौर से बीजेपी समर्थक माने जाते हैं। पाटीदार आंदालन के अगुआ हार्दिक पटेल इस समय सूरत जेल में हैं। उन पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज है।

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आंध्र प्रदेश में कापुस : 31 जनवरी 2016 को आंध्र प्रदेश के टीडीपी नेता मुद्रागड्डा पद्मनाभम ने कापुस समुदाय के लोगों की एक मीटिंग बुलाई थी। इसमें सत्‍तारूढ़ टीडीपी से कापुस समुदाय को पिछड़ी जातियों की सूची में शामिल करने की मांग रखी जानी थी। पद्मनाभम ने अपनी ही पार्टी को चुनाव पूर्व किया वादा निभाने को कहा। इस मुद्दे पर विपक्षी दल वाईएसआर कांग्रेस पद्मनाभम के साथ आ गया और कापुस समुदाय की मीटिंग को अपना समर्थन दे दिया। यह बैठक तुनी रेल रेलवे स्‍टेशन के पास हुई, जिसमें लोग हिंसक हो गए। उन्‍होंने एक ट्रेन को आग लगा दी और पुलिस स्‍टेशन समेत कई वाहनों को भी जला दिया। आंध्र प्रदेश के टीडीपी नेता मुद्रागड्डा पद्मनाभम ने हिंसा के बाद आंदोलन वापस तो लिया, लेकिन सरकार को चेतावनी भी दी कि अगर उनकी मांग पर अमल नहीं किया गया तो अगली बार वह भूख हड़ताल पर बैठेंगे। उन्‍हें सीएम चंद्रबाबू नायडू ने भरोसा दिलाया कि मंजूनाथ कमीशन छह महीने के भीतर उन्‍हें अपनी रिपोर्ट सौंप देगा।

राजस्‍थान में भी उठी मांग: हरियाणा में जाट आंदोलन की आग से राजस्थान भी अछूता नहीं रह रहा है। राजस्थान के जाटों ने भी हुंकार भरते हुए आरक्षण आंदोलन में उतरने का एलान कर दिया है। हालांकि, अभी तक राजस्थान के जाटों ने आंदोलन की रूपरेखा तैयार नहीं की है, लेकिन उन्‍होंने चेतावनी दे दी है। हरियाणा के जाटों की आरक्षण सम्बन्धी मांगें नहीं मानी गईं तो जल्द ही राजस्थान के जाट दिल्ली के लिए कूच करेंगे। पूर्व सांसद और जाट नेता डॉक्टर हरी सिंह ने जयपुर में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि हरियाणा के जाटों की आरक्षण संबंधी मांगें जायज हैं।

मार्च 2014 से पहले जाट गुजरात, हरियाणा, बिहार, हिमाचल प्रदेश, उत्‍तर प्रदेश, मध्‍य प्रदेश, दिल्‍ली, उत्‍तराखंड और राजस्‍थान की ओबीसी लिस्‍ट में थे, लेकिन नेशनल कमीशन बैकवर्ड क्‍लास ने इसका विरोध किया और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने कोटा खत्‍म करने का आदेश दिया था। महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण का मुद्दा पिछले साल उठाया था। राज्‍य के उच्‍च शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े ने हाल ही में जनरल एडमिनिस्‍ट्रेशन डिपार्टमेंट से सरकारी नौकरियों में मराठाओं की संख्‍या के आंकड़े मांगे हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई 23 फरवरी को हो सकती है।

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