ये सुनने में जरा अजीब लगे, लेकिन जेएनयू में हुए विवाद ने हाल ही हरियाणा में हुई हिंसा को भड़काने में भूमिका निभाई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंसा की शुरुआत 18 फरवरी को रोहतक में गैर जाटों और वकीलों के बीच झड़प के साथ शुरू हुई। ये वकील ‘जेएनयू के देशद्रोहियों’ के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे।

पुलिस और प्रत्‍यक्षदर्शियों के मुताबिक, 14 फरवरी से जाट आंदोलन की शुरुआत बेहद शांतिपूर्ण ढंग से सांपला में हुई थी। शुरुआत के कुछ दिनों में सिर्फ सड़कों पर जाम लगा और राज्‍य भर में प्रदर्शन हुए। 18 फरवरी को करीब 150 लोगों के समूह ने शहर में ’35 बिरादरी संघर्ष समिति’ के बैनर तले मार्च निकाला। इनमें से अधिकतर लोग व्‍यापारी वर्ग से ताल्‍लुक रखते थे। इस ग्रुप ने जाटों की ओर से लगाए गए जाम के खिलाफ नारेबाजी की। इन्‍होंने जो बैनर हाथ में ले रखे थे, उस पर लिखा था, ”सीएम साहब मत घबराओ, 35 बिरादरी आपके साथ है। कुछ पर लिखा था, ”हमें मजबूर न करो कि हमें कठोर कदम उठाना पड़े।” इस संगठन का नाम ही हरियाणा में जाटों और गैर जाटों के बीच विभाजन को दर्शाता है। इस संगठन में पंजाबी, सैनी, नाई आदि भी आते हैं जिनका रोहतक में बिजनेस है।

इन लोगों ने भिवानी बस स्‍टैंड से दोपहर ढाई बजे से मार्च निकाला। रास्‍ते में इन्‍हें रास्‍ता बंद करके प्रदर्शन करते हुए वकील मिले, जो जेएनयू विवाद की वजह से सड़कों पर थे। पुलिस के एक प्रवक्‍ता ने बताया, ”इस समूह के लोगों ने जेएनयू विवाद की वजह से प्रदर्शन कर रहे लोगों को जाट आंदोलनकारी समझ लिया। इस ग्रुप के लोगों और वकीलों के बीच बहस हुई। जल्‍द ही यह मारपीट में बदल गई। संख्‍या में कम होने की वजह से वकीलों की यहां कथित तौर पर पिटाई हो गई।” इस प्रदर्शन में हिस्‍सा ले चुके वकील रजनीश हुडा ने कहा, ”हम उन्‍हें लगातार बता रहे थे कि यह प्रदर्शन जाट कोटा के लिए नहीं है। हालांकि, उन्‍होंने हमारी बात नहीं सुनी। विभिन्‍न जातियों के लोग प्रदर्शन के लिए बैठे थे। सुशील जुनेजा, पंकज कौशिक, अजय गौड़ को चोटें लगी जो असल में पंजाबी हैं।”

’35 बिरादरी’ के सदस्‍य और कारोबारी बिट्टू सचदेव ने दावा किया कि वकील जाट कोटा के पक्ष में प्रदर्शन कर रहे थे। उन्‍होंने कहा, ”’हम जाट कोटा के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन हमारा कारोबार इस आंदोलन की वजह से प्रभावित हो रहा था जिस वजह से हमने यह मार्च निकाला।” उधर, वकीलों से निपटने के बाद कारोबारियों का ग्रुप आगे बढ़ा। सोनीपत बस स्‍टेशन पर इनका सामना वकीलों के एक बड़े समूह से हुआ, जो हाथापाई की बात सुनकर मौके पर पहुंचे थे। यहां वकीलों ने कथित तौर पर कुछ कारोबारियों की पिटाई कर दी।

इसी बीच, जैसे ही यह खबर फैली कि कुछ गैर जाटों ने वकीलों को पीट दिया है, जाट आरक्षण की मांग लेकर छोटू राम चौक की ओर मार्च निकाल रहे छात्रों का एक ग्रुप कारोबा‍रियों के समूह से भिड़ गया। पुलिस के प्रवक्‍ता ने बताया, ”दोनों ग्रुप ने एक दूसरे पर पत्‍थरबाजी की और एक दूसरे को पीटा। उन्‍होंने गाडि़यों में आग लगा दी। कम से कम चार टू वीलर्स में आग लगा दी गई। इनमें दोनों समूह की बाइक थी। पुलिस को इस भीड़ को काबू करने के लिए लाठीचार्ज करना पड़ा।” इसके बाद, जींद बाइपास और जाट कॉलेज के पास भी लाठीचार्ज करना पड़ा। दूसरे लाठीचार्ज में मामला बिगड़ गया, क्‍योंकि छात्रों ने कथित तौर पर दो पुलिसवालों को चोटिल कर दिया। इससे नाराज कुछ पुलिसवाले कथित तौर पर नेकीराम ब्‍वॉयज हॉस्‍टल में रात में घुसे और कुछ स्‍टूडेंट्स की पिटाई की।

रोहतक के पुलिसवाले ने बताया, ”यह घटना कैमरे पर कैद हो गई और सोशल मीडिया पर सर्कुलेट की गई। पूरे इलाके के जाट युवक ट्रकों, बसों और एसयूवी में भरकर रोहतक पहुंचे। उनकी संख्‍या हजारों में थी। उन्‍होंने जमकर उत्‍पात मचाया। यहां पुलिसवाले संख्‍या बल में कमजोर पड़ गए।” वहीं, रोहतक के एसपी शशांक आनंद ने कहा, ”हॉस्‍टल में पुलिसवालों के घुसने के मामले की जांच एक कमेटी करेगी।”

28 की मौत, 200 घायल
डीजीपी यशपाल सिंघल के मुताबिक, जाट आंदोलन की वजह से 28 लोगों की मौत हो गई जबकि 200 से ज्‍यादा घायल हो गए। हरियाणा पुलिस ने अब तक 127 लोगों को गिरफ्तार किया है। 10 दिन तक चले प्रदर्शन के दौरान इन लोगों ने कथित तौर पर हिंसा की । कुल 535 एफआईआर दर्ज की गई। राज्‍य सरकार ने बुधवार को रिटायर्ड आईपीएस अफसर प्रकाश सिंह को हिंसा-प्रदर्शन के दौरान पुलिस और प्रशासन की भूमिका की जांच करने के लिए नियुक्‍त किया।