लोकसभा चुनाव 2024 में अब साल भर से भी कम का वक्त बचा है। सभी दल चुनाव की तैयारी में जोरशोर से जुटे हैं। भाजपा काफी पहले ही अपना संगठन मजबूत करने में लगी है। मंगलवार को पार्टी ने चार राज्यों में अपने प्रदेश अध्यक्षों को बदल दिया। पंजाब की जिम्मेदारी सुनील जाखड़ को दी है। इस महत्वपूर्ण बदलाव से भाजपा एक तीर से दो निशाना साधने की कोशिश में है। यानी पंजाब के साथ राजस्थान पर भी सियासी पकड़ मजबूत करना लक्ष्य है।
राजस्थान में करीब 15 फीसदी जाट समुदाय का 50-60 सीटों पर है असर
सुनील जाखड़ हिंदू जाट समुदाय से आते हैं। राजस्थान में 15 फीसदी जाट हैं, जो 50 से 60 विधानसभा सीटों पर असर डालते हैं। 2018 के चुनाव में राजस्थान की 200 सीटों में से 31 जाट उम्मीदवार जीते थे। ऐसे में सुनील जाखड़ भाजपा के लिए काफी असरकारी नेता साबित हो सकते हैं। दूसरी तरफ सुनील जाखड़ के पिता बलराम जाखड़ कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं। वह 1984 और 1991 में राजस्थान के सीकर से सांसद रहे हैं। कांग्रेस शासन काल में वे केंद्रीय मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष रहे हैं। यानी राजस्थान में उनका जो प्रभाव रहा है, सुनील जाखड़ के जरिए भाजपा उसका फायदा उठाने का कोशिश करेगी।
कांग्रेस पर भारी पड़ेगा एंटी इनकंबेंसी फैक्टर!
सुनील जाखड़ इससे पहले पंजाब में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव 2022 के बाद वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये थे। राजस्थान में अभी कांग्रेस का शासन है। एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भी कांग्रेस पर भारी पड़ने की संभावना है। सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच टकराव का भी फायदा भाजपा को मिलेगा। ऐसे में अगर सुनील जाखड़ विधानसभा चुनाव में राज्य में प्रभावशाली माने जाने वाले जाट वोटर को साधने में सफल रहते हैं तो लोकसभा चुनाव में भाजपा की राह आसान हो सकती है।
राज्य में जाट समुदाय एकजुट हो रहा है, ऐसे यह कदम कारगर साबित हो सकता है
राजस्थान में कई संगठन जाट समुदाय एकजुट करने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं। वे चाहते हैं कि इस बार के विधानसभा चुनाव में जाट समुदाय के कम से कम 50 विधायक चुने जाएं। ऐसा होने पर उनके समुदाय का कोई विधायक मुख्यमंत्री पद का दावेदार हो सकेगा। राजस्थान जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील ने कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों से 40-40 जाट उम्मीदवार उतारने की मांग की है। जाट संगठनों के ऐसी मांग के बीच सुनील जाखड़ को बीजेपी में बड़ी जिम्मेदारी मिलना कहीं न कहीं ऐसे संगठनों पर एक प्रभाव डालेगा।
आम तौर पर जाट समुदाय एकजुट होकर किसी एक दल के पक्ष में अपना समर्थन देता है। भाजपा को उम्मीद है कि सुनील जाखड़ को पंजाब का अध्यक्ष बनाने से पड़ोस के राजस्थान में भी उनका प्रभाव काम करेगा।
2003 में जाट समुदाय ने भाजपा की वसुंधरा राजे के पक्ष में वोट दिया था। तब पार्टी ने वसुंधरा राजे को जाट परिवार की बहू के रूप में बताया था। भाजपा को लग रहा है कि अगर इस बार भी ऐसी ही रणनीति के तहत काम किया जाए तो राजस्थान में फायदा मिल सकता है।