पाकिस्तानी खुफिया एजंसी आइएसआइ ने भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों की जासूसी कराने में सोशल मीडिया का इस्तेमाल शुरू किया है। सोशल मीडिया के साथ मधुचक्र (हनीट्रैप) का तालमेल सामने आया है। आइएसआइ की महिला एजंट सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से चुनिंदा और संवेदनशील जगहों पर तैनात लोगों को मित्र बना रही हैं और फिर तमाम हथकंडे अपना कर उनसे सूचनाएं लीक करा रही हैं। सैन्य बलों के जवानों, अधिकारियों, वैज्ञानिकों से लेकर कई सामाजिक संगठनों में शामिल लोगों को हाल में सैन्य खुफिया इकाई एवं अन्य जांच एजंसियों ने पकड़ा है, जो अपनी खूबसूरत पाकिस्तानी एजंटों या यूं कहें कि पाकिस्तानी विषकन्याओं के नियमित संपर्क में थे और सूचनाएं व दस्तावेज भेज रहे थे।

कितना सघन है जाल: मधुचक्र (हनीट्रैप) ऐसा तरीका है, जिसके जरिए कोई महिला किसी खास मकसद के लिए रोमांटिक या अवैध संबंधों के जरिए किसी आदमी से सूचनाएं निकलवाने से लेकर उसे ब्लैकमेल तक करती है। आइएसआइ ने हनीट्रैप की रणनीति में बदलाव किया है। पहले तस्वीरों के माध्यम से जवानों को फंसाने का काम किया जाता था। आजकल आइएसआइ की एजंट लाइव चैट पर रोमांटिक अदाओं के जरिए लोगों को झांसे में लेती हैं। आइएसआइ ने इसके लिए विशेष टीम बनाई है, जो फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट पर सक्रिय है। सैन्य बलों की खुफिया इकाइयों ने पता लगाया है कि कम से कम 50 लोग आइएसआइ के मधुचक्र में फंसे हुए हैं। एक साल में आइएसआइ को सूचनाएं लीक करने के कई एजंट पकड़े गए हैं।

ताजा मामला सेना के जवान सोमवीर का है, उसे जैसलमेर से गिरफ्तार किया गया। फेसबुक पर अमिका चोपड़ा नाम से प्रोफाइल बनाकर पाकिस्तान की एक एजंट उससे संवेदनशील और गुप्त सूचनाएं ले रही थी। ऐसा ही एक मामला रंजीत केके का था, जो एक एअरमैन था और उसे सैन्य एवं वायुसेना की खुफिया एजंसियों ने पकड़ा। इसी तरह अच्युतानंद मिश्रा नाम के एक बीएसएफ जवान ने अपनी यूनिट का ब्योरा एक महिला को बताया था।
आइएसआइ के हनीट्रैप में फंसे डीआरडीओ के वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल को तीन महीने पहले नागपुर से पकड़ा गया था। उसने अश्लील वीडियो और अमेरिका में अच्छे पैकेज पर नौकरी के लालच में ब्रह्ममोस परियोजना की जानकारी महिला एजंट को देनी शुरू की थी। वह फेसबुक पर महिला का दोस्त बना था। उसका अकाउंट लाहौर से सक्रिय था।

सेना ने क्या कदम उठाए हैं: थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की अगुवाई में सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों ने बैठक कर कुछ दिशानिर्देश तय किए हैं। संवेदनशील जगहों पर कार्यरत लोगों के लिए दिशानिर्देश हैं कि अगर आप फेसबुक पर हैं तो अपनी पहचान न बताएं। अपनी पहचान से जुड़ी किसी भी प्रकार की चीजों को सोशल साइट पर साझा न करें।

क्या कर रहा है सेना का नया दस्ता: भारतीय सेना ने तीनों अंगों के मुख्यालयों में नया दस्ता (इनफॉरमेशन वॉरफेयर) गठित किया है। इसे सेना में हर स्तर- सिपाही से अधिकारी तक के मोबाइल फोन, लैपटॉप, डेस्कटॉप की नियमित चेकिंग के आदेश दिए गए हैं। इसमें सोशल मीडिया के जानकार रखे गए हैं, जो हनीट्रैप के संपर्क वाले फेसबुक एकाउंट, ट्विटर हैंडल, इंस्टाग्राम और अन्य माध्यमों का पता लगाते हैं। अनजाने ऐप को रोकते हैं।

भर्ती प्रक्रिया में क्या चल रही कवायद: सैन्य बलों में अधिकारियों एवं जवानों की भर्ती प्रक्रिया में कुछ बदलाव करने की कवायद चल रही है। जवानों के स्तर पर इसका क्रियान्वयन शुरू कर दिया गया है। लिखित परीक्षा पास करने, चिकित्सकीय परीक्षा पूरी होने के बाद तीसरे चरण में उम्मीदवारों को एक विशेषज्ञ पैनल के समक्ष पेश होना पड़ता है। उसमें जवानों से ऐसे सवाल-जवाब किए जाते हैं, जिससे सैन्य बलों में शामिल होने का मकसद जाना जा सके।
परखा जाता है कि वह पैसे की लालच में या हनी ट्रैप में फंस सकता है या नहीं। परीक्षा में हम तीन बातों पर फोकस रखा जा रहा है। उम्मीदवार सेना के प्रति कितना समर्पित है। उसका फोकस क्या है, उसकी मानसिकता क्या दर्शाती है।

विदेशी सैन्य बलों में मधुचक्र: दुनिया में सैन्य बलों की जितनी भी जासूसी एजंसियां हैं, चाहे अमेरिका की सीआइए हो या रूस की केजीबी या ब्रिटेन की एमआई सिक्स – सभी संवेदनशील और गुप्त सूचनाएं निकलवाने के लिए हनी ट्रैप का इस्तेमाल करती रही हैं। ब्रिटेन की एमआइ सिक्स ने तो हनीट्रैप के लिए अपनी एजंसी में समलैंगिकों के लिए अलग से एक शाखा बना रखी है। इसने सबसे पहले साइबर सिक्योरिटी शाखा में लड़कियों की भर्ती शुरू की। अतीत में हनीट्रैप की शुरुआत ब्रिटिश एजंसी ने ही की थी। रूसी केजीबी ने अपने मुख्यालय में पोर्न वेबसाइट पर अपलोड करने के लिए बाकायदे अलग से विंग बना रखा है।

क्या कहते हैं जानकार
भारतीय सेना के जवानों को फंसाने के लिए आइएसआइ ने पाकिस्तान और उसके बाहर कई कॉल सेंटर खोले हैं। इनमें खूबसूरत लड़कियां दिन-रात फेसबुक, वीचैट, हाइक और वाट्स ऐप के जरिए भारतीय सेना के जवानों से संपर्क करती रहती हैं। आइएसआइ के अधिकारी इन पर नजर रखते हैं।
– विंग कमांडर प्रफुल्ल बक्शी,
रक्षा विशेषज्ञ

हनीट्रैप भी युद्ध का तरीका है। कश्मीर में छद्म युद्ध में लगा पाकिस्तान हनीट्रैप के सुरक्षित तरीके का ज्यादा इस्तेमाल कर रहा है। कश्मीर में युवकों को आतंकवाद में शामिल करने के लिए भी इसका खूब इस्तेमाल किया गया है।
– पीके सहगल, रक्षा विशेषज्ञ

भारत और पाकितान के परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र होने के बावजूद, करगिल युद्ध हुआ था। परमाणु हथियार रहते हुए भी पूरी लड़ाई लड़े बिना, छोटी-मोटी फौजी कार्रवाई की जा सकती हैं और पाकिस्तान को जवाब दिया जा सकता है। पाकिस्तान के इस साइबर वॉर फेअर के लिए अलग से तैयारी करनी होगी।
– मारूफ रजा, रक्षा विशेषज्ञ