Jammu Kashmir Kishtwar Cloudburst: एक ओर पूरे देश में स्वतंत्रता दिवस का जश्न है, लोग जन्माष्टमी की तैयारी कर रहे हैं तो दूसरी ओर जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ में लोगों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। गुरुवार को किश्तवाड़ में उस वक्त बादल फटा, जब बड़ी संख्या में लोग मचैल माता के मंदिर में धार्मिक यात्रा के लिए इकट्ठे हुए थे लेकिन इसी दौरान बादल फट गया। बताया जा रहा है कि सैकड़ों लोग मलबे के नीचे दब गए।
हादसे में अब तक 65 से ज्यादा लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है और माना जा रहा है कि यह आंकड़ा बढ़ सकता है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुक अब्दुल्ला ने कहा है कि मलबे के नीचे 500 लोग दबे हो सकते हैं।
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किश्तवाड़ हादसे को लेकर लोग न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में बल्कि देश घर में सोशल मीडिया पर दुख का इजहार कर रहे हैं। हादसे के बाद जम्मू में धार्मिक संगठनों ने घोषणा की है कि जन्माष्टमी का त्योहार बेहद सादगी के साथ मनाया जाएगा। इस बीच, मारे गए जिन लोगों के शवों की पहचान हुई है उन्हें उनके परिजनों के पास भेज दिया गया है।
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हालात की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग, एनएचपीसी, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य विभाग की आपातकालीन सेवाओं के कर्मचारियों को मौके पर तैनात किया गया है। किश्तवाड़ के डीसी पंकज कुमार शर्मा ने पद्दार में रास्तों को साफ करने और फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए ज्यादा कर्मचारियों को तैनात करने का आदेश दिया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से बात की है।
अलर्ट मोड पर हैं अफसर
जम्मू-कश्मीर प्रशासन की ओर से अथोली उप-जिला अस्पताल और किश्तवाड़ जिला अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत किया गया है। किश्तवाड़ के जिला अस्पताल में डॉक्टरों को भेजा गया है। तमाम अफसर अलर्ट मोड पर हैं और उन्हें बचाव अभियान और चिकित्सा कार्यों की निगरानी में तैनात किया गया है।
जम्मू के सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 200 से ज्यादा खून उपलब्ध कराया गया है।