Jammu-Kashmir Vidhan Sabha Chunav: जम्मू-कश्मीर में तीन फेज में चुनाव होने वाले हैं। सभी सियासी दल अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। बीजेपी ने जम्मू कश्मीर का चुनाव प्रभारी राम माधव को बनाया है। इसी के मद्देनजर उन्होंने आज चुनाव प्रभारी के तौर पर उन्हें वापस लाने के लिए बीजेपी को धन्यवाद दिया। उन्होंने यह भी बताया कि यह कदम इतना जरूरी क्यों है। माधव ने कहा कि आरएसएस मेरी मां है। हम आम तौर पर इसके बारे में सार्वजनिक तौर पर बात नहीं करते हैं। लेकिन मुझे पार्टी के काम पर लौटने के लिए संघ के द्वारा दी गई छूट और नए काम में मुझे दिए गए पूरे दिल से समर्थन को स्वीकार करना चाहिए।

60 साल के संघ परिवार के नेता फिर 2020 के बाद में फिर से सुर्खियों में छा गए हैं। बीजेपी ने दोबारा से आरएसएस के उस नेता पर भरोसा जताया है, जिसने पार्टी को जम्मू-कश्मीर में अपने पैर जमाने में मदद की थी। यहां पर पार्टी का ज्यादा असर नहीं होता था। पार्टी ने अपने सबसे जरूरी विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें फिर से जम्मू-कश्मीर में भेजा है। आर्टिकल 370 को खत्म करने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव को मोदी सरकार की परीक्षा के तौर पर देखा जा रहा है।

जम्मू-कश्मीर में निभाई अहम भूमिका

ज्यादातर भारतीय जनता पार्टी के नेता मानते हैं कि जम्मू-कश्मीर में माधव का रिकॉर्ड उन्हें वापस लाने के फैसले में अहम भूमिका निभाता है। कुछ नेताओं का यह भी मानना है कि गुलाम नबी आजाद जैसे राजनीतिक नेताओं के साथ अपने अच्छे संबंधों के बाद वह बीजेपी के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकते हैं। अपने ट्वीट में माधव ने कहा कि उनको चुनाव का प्रभारी चुनने के लिए वह मोदी के बहुत आभारी हैं। उन्होंने कहा कि बातचीत के बाद में मुझे अहसास हुआ कि आर्टिकल 370 के खत्म होने के बाद में जम्मू-कश्मीर के लोगों को सही और निष्पक्ष चुनाव के जरिये सत्ता की बागडोर उन्हें देकर लोगों को सुशासन देना है।

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इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी आभारी हैं। जेपी नड्डा का भी माधव ने आभार जताया है। पार्टी के एक सूत्र ने यह भी कहा कि यह एक मुश्किल भरा काम है और माधव अपनी एबिलिटी को साबित कर सकते हैं। सूत्र ने यह भी कहा कि बीजेपी जम्मू में अपना ठीक-ठाक असर रखती है। यहां पर 90 में से 43 सीटें हैं। घाटी के अंदर सही से संबंध बनाए बिना पार्टी के लिए सरकार बनाना आसान नहीं है। पार्टी के आलाकमान को इस बात का भरोसा है कि माधव इसके लिए बिल्कुल ही सटीक उम्मीदवार हैं।

पीडीपी और बीजेपी के बीच करवाया था समझौता

माधव ने ही साल 2015 में बीजेपी और पीडीपी के बीच में समझौता करवाया था। इसी के बाद दोनों पार्टियों ने गठबंधन से सरकार बनाई थी। यह जम्मू-कश्मीर में बीजेपी का सत्ता का पहला और अकेला कार्यकाल था। बढ़ते तनाव की वजह से पार्टी का अलायंस 2019 में टूट गया और तब से ही जम्मू-कश्मीर केंद्र के शासन में है। सत्रों के मुताबिक, पीएम मोदी ने एनएसए अजीत डोभाल के साथ बातचीत के बाद सिक्योरिटी और राजनीतिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए माधव को वापस लाने और उन्हें जम्मू-कश्मीर चुनाव का प्रभार देने का फैसला किया।

आरएसएस के बने प्रचारक

आंध्र प्रदेश के रहने वाले माधव इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा और पॉलिटिकल साइंस में मास्टर की डिग्री हासिल कर चुके हैं। वह 20 साल की उम्र में पहुंचने से पहले ही आरएसएस के प्रचारक बन गए थे। उन्होंने संघ के अंदर अपनी छवि को इस तरह का बनाया कि वह उनको दिए गए हर एक मिशन को पूरा करके ही मानते थे। 2014 में माधव को बीजेपी का महासचिव बनाया गया। उन्होंने पार्टी को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में चुनावों में काफी हद तक मदद की। इसमें त्रिपुरा का नाम भी आता है। यहां पर वामपंथी के शासन को उखाड़ फेंका था। वह पार्टी में जल्द ही एक फेमस चेहरा बनकर सामने आए।

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इंडियन एक्सप्रेस ने मार्च 2015 में लिखा था कि कैस माधव और पीडीपी नेता हसीब द्राबू ने पीडीपी-बीजेपी अलायंस की रूपरेखा तैयार की थी। इतना ही नहीं 55 दिनों से ज्यादा चली बातचीत में एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम भी तैयार किया। उस वक्त माधव ने खुद की तुलना द्रौपदी से की थी। उनको बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को अहम पदों पर अपडेट करना था।

वित्त मंत्री अरुण जेटली की सलाह लेनी थी और आखिरी फेज में पीएम मोदी को साथ लेना था। जैसे-जैसे वे भारतीय जनता पार्टी को चुनावों में कामयाबी के शिखर पर पहुंचाते रहे वैसे-वैसे वे मोदी के भरोसेमंद बनते गए। खासतौर पर वह इंटरनेशनल मामलों में भी अपनी अच्छी खासी पहुंच रखते थे। पीएम मोदी की सरकार के शुरुआती दिनों में उनकी विदेश यात्राओं में माधव के सुझावों को भी काफी अहमियत दी जाती थी। सूत्रों के मुताबिक, माधव इतनी तेजी के साथ में उभर रहे थे कि उनके विकास से बाकी लोग ज्यादा खुश नहीं थे।

लेकिन पांच साल तक किसी पार्टी पद पर नहीं रहने के बाद भी माधव ने दिल्ली में मौजूद थिंक टैंक इंडिया फाउंडेशन के डॉयरेक्टर के तौर पर काम किया। इसका संबंध आरएसएस से है। बीजेपी नेताओं का कहना है कि इससे माधव को एक मजबूत आवाज बने रहने में काफी मदद मिली और उन्होंने श्रीलंका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की कई आधिकारिक राजकीय यात्राओं के लिए जमीन तैयार करने में भी अहम भूमिका निभाई।