जम्मू-कश्मीर में पंचायतों, शहरी स्थानीय निकायों और विधान सभा के चुनाव जल्द होने की संभावना है। केंद्र शासित प्रदेश में में संभवतः इस साल कुछ महीनों के बाद होने वाले आम चुनावों के बाद ही चुनाव आयोजित किए जाएंगे।

जम्मू और कश्मीर के ग्रामीण इलाकों में पारंपरिक जमीनी स्तर के निर्वाचित प्रतिनिधि खत्म हो जाएंगे क्योंकि 4,892 निर्वाचित ग्राम पंचायतों का पांच साल का कार्यकाल मंगलवार को समाप्त हो गया। हालांकि, नई शासन संरचना- जिला विकास परिषदें जो सीधे लोगों द्वारा चुनी जाती हैं 2020 में हुए स्टैंडअलोन चुनावों के बाद से कायम हैं।

लोकसभा चुनाव के बाद हो सकते हैं जम्मू-कश्मीर में चुनाव

लगभग दो महीने पहले दो नगर निगमों, 19 नगर परिषदों और 57 नगर पालिकाओं सहित शहरी स्थानीय निकायों का कार्यकाल 14 नवंबर, 2023 को समाप्त हो गया था। इनका गठन 13 सालों के बाद पार्टी प्रतीकों पर हुए चुनावों के माध्यम से किया गया था।

सरकार के सूत्रों के अनुसार, लोकसभा चुनाव से पहले शहरी स्थानीय निकायों और पंचायतों के चुनाव कराना संभव नहीं था क्योंकि जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक परिषद ने हाल ही में 28 दिसंबर, 2023 को जम्मू-कश्मीर पंचायती राज अधिनियम में संशोधन किया है। यह अधिनियम शहरी और ग्रामीण स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण की अनुमति देता है। राज्य में पहली बार स्थानीय चुनावों में ओबीसी आरक्षण मिलने जा रहा है।

पहली बार मिलेगा OBC आरक्षण

एक सूत्र ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “राज्य चुनाव आयोग जम्मू-कश्मीर में ओबीसी आरक्षण नहीं बढ़ा सकता था क्योंकि ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। इसलिए इन चुनावों को आयोजित करना एक संवैधानिक मुद्दा था।” सूत्र ने बताया, संसद के शीतकालीन सत्र में जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन विधेयक), 2023 के पारित होने के साथ अब जम्मू-कश्मीर में चुनावों के लिए ओबीसी आरक्षण दिया जा सकता है।

सरकारी सूत्रों के अनुसार, दो मुद्दे जो स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव तुरंत कराने के रास्ते में आते हैं, वे हैं- आरक्षित किए जाने वाले नगरपालिका निर्वाचन क्षेत्रों की पहचान और नगरपालिका चुनाव प्रक्रियाओं को संचालित करने के लिए संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा राज्य चुनाव आयोग को जनादेश का हस्तांतरण।

सूत्रों ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की संवैधानिक वैधता पर अपना फैसला सुनाते हुए इसके लिए सितंबर 2024 की सुप्रीम कोर्ट की समय सीमा का हवाला देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ कराने की जरूरत नहीं है। जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में हुआ था।