जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने देशभर में 33 नॉन गजटेड पदों पर भर्ती के लिए निकाली आवेदन की सूचना मंगलवार को वापस ले ली। ये वेकैंसी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल संजय धर की ओर से 26 दिसंबर को निकाली गई थी। यह सरकारी नौकरियों का पहला उदाहरण था, जिसमें अन्य राज्यों के उम्मीदवारों को भी आवेदन करने के लिए बुलाया गया था। रिक्तियां 18 वरिष्ठ और जूनियर-स्केल स्टेनोग्राफर, चार स्टेनोटाइपिस्ट, नौ वरिष्ठ और एंट्री-लेवल ड्राइवर, एक इलेक्ट्रीशियन और कंपोजिटर के लिए थीं।

राज्य के विभाजन के महीनों बाद निकले थे आवेदन : ये आवेदन जम्मू-कश्मीर राज्य को विभाजित करने और जम्मू तथा लद्दाख के नाम से दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के कई महीने बाद आई थी। संजय धर की ओर मंगलवार को जारी सूचना में कहा गया है, “सभी को सूचित किया जाता है कि 26.12.19 की विज्ञापन संख्या 09/2019, जिसके द्वारा जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में विभिन्न नॉन गजटेड पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे, वे तत्काल प्रभाव से वापस लिए जाते है।”

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सभी प्रमुख जिला और सत्र न्यायाधीशों को दी गई जानकारी : सभी प्रमुख जिला और सत्र न्यायाधीशों को इसकी जानकारी देते हुए धर ने उनसे अनुरोध किया कि यह अधिसूचना लद्दाख के लेह और कारगिल में प्रचारित कर दी जाए। अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि आवेदन के साथ सभी उम्मीदवारों के बैंक ड्राफ्ट वापस कर दिए जाएं। इंडियन एक्सप्रेस ने सोमवार को खबर दी थी कि 26 दिसंबर को जारी विज्ञापन केंद्रीय मंत्रियों और भाजपा नेताओं के उस आश्वासन के मद्देनजर आया था कि अनुच्छेद 370 और 35A से जम्मू और कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के बाद दोनों नए केंद्र शासित प्रदेशों में नौकरियों और भूमि के लिए स्थानीय लोगों के हितों की रक्षा की जाएगी। प्रशासन को बताया गया है कि दोनों संघ शासित प्रदेशों में रोजगार और भूमि के मामलों में स्थानीय निवासियों की आशंकाओं को दूर करने के लिए 15 साल के निवास स्थान पर विचार किया जा रहा है।

विपक्ष ने की थी विज्ञापन की आलोचना : विपक्षी दलों ने इस तरह विज्ञापन निकालने की आलोचना की थी और कहा था कि जम्मू-कश्मीर सरकार / प्रशासन की नौकरियां केवल केंद्र शासित प्रदेशों के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित होनी चाहिए। द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बात करते हुए, एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा था कि यदि विज्ञापन को पूरा किया जाता है तो इससे स्थानीय निवासियों में नौकरी के अवसरों और भूमि अधिकारों को लेकर घबराहट पैदा होगी, क्योंकि यह बाहरी लोगों के लिए दोनों संघ शासित प्रदेशों में नौकरियों के आवेदन करने के लिए दरवाजे खोल देगा। बीजेपी नेता ने कहा कि इस मुद्दे को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार और केंद्र शासित प्रशासन को हस्तक्षेप करना चाहिए।