जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को राज्य के पूर्व सीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला की नजरबंदी हटा ली है। जिसके बाद करीब 7 माह से अपने घर में नजरबंद फारुख अब्दुल्ला अब आजाद हो सकेंगे। फारुख अब्दुल्ला के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) के तहत कार्रवाई की गई थी। जम्मू कश्मीर प्रसासन ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। फारुख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से ही नजरबंद थे।

फारुख अब्दुल्ला श्रीनगर में गुपकर रोड स्थित अपने आवास पर नजरबंद थे। बीते साल अगस्त माह में केन्द्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 के प्रावधान हटा दिए थे। जिसके बाद राज्य के कई नेताओं को एहतियातन नजरबंद कर लिया गया था। इनमें फारुख अब्दुल्ला के साथ उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती समेत कई अन्य नेता शामिल थे।

फारुख अब्दुल्ला के खिलाफ 15 सितंबर, 2019 को पीएसए के तहत कार्रवाई की गई थी, जिसे 13 दिसंबर, 2019 को तीन माह के लिए बढ़ा दिया गया था। हालांकि सरकार धीरे-धीरे नेताओं को रिहा कर रही है। इसी के तहत जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को फारुख अब्दुल्ला की भी नजरबंदी हटा ली।

सरकार ने अपने एक बयान में कहा है कि “जम्मू कश्मीर पब्लिक सेफ्टी एक्ट, 1978 के सेक्शन 19(1) के तहत मिली ताकतों का इस्तेमाल करते हुए सरकार ने DMS/PSA/120/2019 की नजरबंदी हटा ली गई है। श्रीनगर, जिलाधिकारी ने यह आदेश जारी किया है।”

गौरतलब है कि हाल ही में विपक्षी नेताओं द्वारा जम्मू कश्मीर के तीनों पूर्व सीएम को जल्द रिहा करने की मांग की गई थी। एनसीपी चीफ शरद पवार ने भी सोमवार को एक ट्वीट कर जम्मू कश्मीर के तीनों पूर्व सीएम और अन्य राजनेताओं को रिहा करने की मांग की थी।

विपक्ष का आरोप था कि पिछले सात महीनों से तीन पूर्व सीएम बिना किसी पुख्ता आधार के हिरासत में कैद हैं और इन नेताओं का ऐसा कोई अतीत नहीं है, जिसके आधार पर कहा जा सके कि ये लोग जम्मू कश्मीर में सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा बन सकते हैं।