नेशनल कांफ्रेस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की तारीफ की है। एएनआई के अनुसार, उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि पाक पीएम इमरान खान ने कल अपने मुशीर (सलाहकार) को भेजा था जिन्होंने पीएम और सुषमा स्वराज जी से बात की है। हमें उम्मीद है कि ये जो जंग का माहौल बन रहा था, उसमें कुछ कमी हुई है।” फारुख अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बने माहौल को लेकर यह टिप्पणी की। बता दें कि काफिले पर हमले की वजह से सीआरपीएफ के करीब 40 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने ली थी। इसके विरोध में पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग उठने लगी थी।

फारुख अब्दुल्ला ने इस हमले की निंदा की थी और सर्वदलीय बैठक में भी हिस्सा लिया था। हालांकि, घटना के बाद देश के विभिन्न राज्यों में कश्मीरी छात्रों व लोगों पर हुए हमले की निंदा भी की थी। उन्होंने पंजाब, राजस्थान और उत्तराखंड के मुख्यमंत्रियों के साथ इन राज्यों में रहने वाले कश्मीरी छात्रों और अन्य की सुरक्षा का मुद्दा उाठाया और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की थी। पीएम मोदी ने भी इन हमलों की निंदा की थी।

फारुख अब्दुल्ला ने इसके बाद कहा था, “पीएम के बयान से देश को लोगों को शांत करने में मदद मिलेगी। वैसे तो उन्हें देशभर में कश्मीरियों के विरूद्ध हो रही हिंसा के खिलाफ सामने आने में लंबा समय लग गया। लेकिन हम बयान का स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि इस संबंध में जरूरी कदम उठाये जाएंगे।’’ कश्मीर घाटी में लोगों के घबरा कर रोजमर्रा की वस्तुएं इकट्ठा करने की खबरों के बीच भी फारूक अब्दुल्ला ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह से बात की और जनता को पुन:आश्वस्त करने के लिए कदम उठाने की अपील की थी।

इस बीच नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि जम्मू कश्मीर में पांच साल के बाद चुनाव करवा पाना कश्मीर के हालात से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निबटने का परीक्षण होगा। अब्दुल्ला ने ट्विटर पर कहा, ‘‘क्या मोदी सरकार अलगावावादी ताकतों और आतंकियों के सामने घुटने टेकेगी जो जम्मू कश्मीर में हमेशा से ही चुनावों में बाधा और देरी पहुंचाते हैं या फिर चुनाव निर्धारित समय पर ही होंगे? यह समय प्रधानमंत्री मोदी के लिए बीते पांच वर्षों में कश्मीर को संभालने की परख का है।’’

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उन मीडिया रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जिनमें कहा गया था कि भारत के निर्वाचन आयुक्त इस बात का फैसला करेंगे कि क्या राज्य में लोकसभा चुनावों के साथ राज्य के चुनावों भी कराया जाए। अब्दुल्ला ने कहा कि एक बार को छोड़कर राज्य में 1995-96 से चुनाव निर्धारित अवधि में होते रहे हैं। (एजेंसी इनपुट के साथ)