जम्मू कश्मीर के बागवानों को आधुनिक तकनीक के बारे में ज्यादा समझ नहीं है। इसी वजह से वे आज भी पारंपरिक तरीके से ही बागवानी कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव को बागवान अपने लिए अच्छा मौका समझ रहे थे। राजनीतिक दलों के घोषणापत्रों में उनके लिए वादे तो जरूर किए गए हैं। लेकिन बागवानों की मांगें इससे बिल्कुल अलग हैं।

जम्मू-कश्मीर के सोपोर जिले के बागवान अब्बास का कहना है कि राज्य में सेब की अर्थव्यवस्था करीब 8000 करोड़ रुपए की है और इस उद्योग से लगभग 35 लाख लोग जुड़े हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि न तो केंद्र की और न ही राज्य की किसी भी सरकार ने आज तक सेब उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कोई खास कदम उठाए हैं।

अब्बास के मुताबिक नकली कीटनाशकों का इस्तेमाल सेब उत्पादकों की सबसे बड़ी परेशानी है। इन पर कोई निगरानी नहीं है। हर साल बागवानों को भारी आर्थिक नुकसान होता है। बागवानों की लंबे समय से यह मांग रही है कि सेब उगाने वाले जिलों में कीटनाशकों की जांच के लिए लैब बनाई जाए जिससे वे अपने कीटनाशकों की जांच कर सकें। दूसरे, हर साल बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से सेब की काफी फसल बर्बाद हो जाती है। जिससे बागवानों को आर्थिक नुकसान होता है। बागवान लंबे अरसे से सेब के लिए बीमे की मांग कर रहे हैं।

सेब की खेती के लिए सरकार नहीं कर रही कोई प्रयास

विदेशों से सस्ते सेब का आयात होना भी कश्मीर के सेब की मांग कम कर रहा है। इससे दाम भी गिर जाते हैं। जो बागवानों के लिए एक बड़ी चुनौती है। राज्य के सेब बागवानों को एक शिकायत यह भी है कि जम्मू-कश्मीर में सेब की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से जमीनी स्तर पर कोई ठोस प्रयास नहीं दिखे हैं।

Nasrallah Killed: महबूबा मुफ्ती ने हसन नसरल्लाह की मौत के बाद चुनाव प्रचार किया रद्द, बोलीं- हम इस दुख की घड़ी में…

सेब बागवानों को सबसे ज्यादा नुकसान विदेशों से आने वाले ड्यूटी फ्री सेब से होता है। एशियन फ्री ट्रेड एरिया (आफटा) के तहत देश में हर साल अफगानिस्तान से करोड़ों का सेब आता है, जिस पर कोई आयात शुल्क नहीं लगता। इसकी आड़ में इरान और चीन जैसे देशों का सेब भी भारत पहुंचाता है। जिससे कश्मीरी सेब के दाम गिर जाते हैं और बागवानों को उचित लाभ नहीं मिलता।

बांग्लादेश की तर्ज पर भारत को भी लगाना चाहिए आयात शुल्क

उधर हर साल करोड़ों का सेब कश्मीर से भी बांग्लादेश भेजा जाता है, लेकिन वहां की सरकार इस पर 100 फीसद आयात शुल्क लगाती है। अगर भारत सरकार भी ऐसा ही करे, तो स्थानीय बागवानों को बेहतर दाम मिलेंगे। माना जाता है कि कश्मीर का सेब स्वाद में बेहतर और सेहत के लिए अधिक फायदेमंद होता है। इसलिए देशभर से व्यापारी इसे खरीदने यहां आते हैं।

’83 साल का हूं, इतनी जल्दी मरने वाला नहीं’, मल्लिकार्जुन खड़गे बोले- जब तक मोदी को नहीं हटाएंगे, तब तक जिंदा रहूंगा

गौरतलब है कि चुनाव से पहले किसानों को लुभाने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सभी 24 फसलों की खरीद एमएसपी पर करने का एलान किया था। लेकिन देखना यह है कि धान खरीद के मामले में सैनी अपने वादे पर कितना खरा उतरते हैं। गढ़ में चुनावी रण में ताल ठोक रहे हैं। जींद जिले की उचाना कलां विधानसभा सीट पर जजपा उम्मीदवार एवं हरियाणा के पूर्व उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के सामने 66 गांवों के प्रतिनिधियों ने आजाद पालवा को अपना उम्मीदवार बनाया हुआ है। बेरी में अमित अहलावत और सोनू अहलावत के साथ 360 महरौली के प्रमुख गोवर्धन सिंह भी चुनावी रण में बने हुए हैं।