Jammu Kashmir Vidhan Sabha Chunav: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। दस साल बाद हो रहे चुनाव के ऐलान के बाद ही कांग्रेस ने म्यूचुअल पार्टनर मानी जाने वाली जम्मू कश्मीर की क्षेत्रीय पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस से गठबंधन का ऐलान कर लिया है। इसको लेकर जहां एक तरफ सियासत जारी है, तो दूसरी ओर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि कांग्रेस से गठबंधन का फैसला आसान नहीं था।

उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि कांग्रेस के साथ विधानसभा चुनाव के लिहाज से हाथ मिलाना बड़ा फैसला नहीं था, क्योंकि नेशनल कॉन्फ्रेंस को कई ऐसी सीटें छोड़नी पड़ेगी, जो कि एनसी आसानी से जीत सकती थी। पार्टी के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अब्दुल्ला ने कहा है कि जम्मू कश्मीर के अधिकारों का पुनः हासिल करना एक सामूहिक लड़ाई है।

उमर अब्दुल्ला बोले- जम्मू कश्मीर की सामूहिक लड़ाई

उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह लड़ाई केवल हमारी ही नहीं है, बल्कि पूरे जम्मू कश्मीर की है। हमारे साथ जो गलत हुआ है, और हम उसे सही करना चाहते हैं, तो इसका फायदा हमको ही नहीं, बल्कि पूरे जम्मू कश्मीर के लोगों को होगा। इसीलिए यह पूरे जम्मू कश्मीर के लिए सामूहिक लड़ाई है।

सुप्रीम कोर्ट ने उमर अब्दुल्ला को उपस्थित होने को कहा, पत्नी पायल से जुड़ा है मामला

एनसी के वरिष्ठ नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि यही कारण है कि हमने कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया, हालांकि यह हमारे लिए आसान निर्णय नहीं था। हमें उन सीटों का त्याग करना पड़ा जहां हम जानते थे कि केवल एनसी ही कड़ी टक्कर दे सकती है।

गुलाम नबी आजाद का किया जिक्र

उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि गठबंधन का पहला प्रभाव यह है कि आजाद प्रचार नहीं करेंगे और उन्होंने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों से यह तय करने को कहा है कि वे चुनाव लड़ें या न लड़ें। अब्दुल्ला ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि अगर उनकी सरकार बनती है तो वे पब्लिक सेफ्टी एक्ट को हटा देंगे।

गौरतलब है कि स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा था कि वे चुनाव में प्रचार नहीं कर पाएंगे। उन्होंने पार्टी का टिकट पाने वाले प्रत्याशियों से कहा है कि वे खुद अब उन्हें चुनाव लड़ना है, या नहीं।