Custodial Torture Case: जम्मू-कश्मीर के एक चर्चित कस्टोडियल टॉर्चर मामले में श्रीनगर की अदालत ने आठ पुलिसकर्मियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है। इन पुलिसकर्मियों को सीबीआई ने गिरफ्तार किया था। श्रीनगर के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट आदिल मुश्ताक अहमद ने शनिवार को जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं।

डिप्टी एसपी एजाज अहमद नाइक, रियाज अहमद मीर, तनवीर अहमद मल्ला, अल्ताफ हुसैन भट, मोहम्मद यूनिस खान, शाकिर हुसैन खोजा, शाहनवाज अहमद दीदाद और जहांगीर अहमद बेग ने अदालत में अलग-अलग जमानत याचिकाएं दायर की थीं। पुलिसकर्मियों ने 20-26 फरवरी 2023 में जेआईसी कुपवाड़ा में अवैध कारावास के दौरान कांस्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान पर हिरासत में यातना और गंभीर शारीरिक चोटों के आरोपों से संबंधित एफआईआर में जमानत मांगी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था सीबीआई जांच का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने कथित हिरासत में यातना की सीबीआई जांच का आदेश दिया था और 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था। जज ने तीनों जमानत याचिकाओं पर एक ही आदेश में कहा कि तीनों याचिकाओं में ऐसा कोई असाधारण कारण सामने नहीं आया है, जिससे इस सिद्धांत से हटने का आधार बने कि गंभीर हिरासती हिंसा के मामलों में जांच के दौरान जमानत नहीं दी जाती।

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अभियोजन पक्ष ने क्या दलीलें दीं

जहां आवेदकों ने अपनी बेगुनाही, ईमानदारी और निरंतर हिरासत की जरूरत न होने का दावा करते हुए नियमित जमानत की मांग की थी, वहीं अभियोजन पक्ष ने अपराध की गंभीरता, अभियुक्तों की मिलीभगत, सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों को प्रभावित करने के जोखिम, चल रही जांच का हवाला देते हुए उनकी याचिका का विरोध किया। सीबीआई ने तर्क दिया था कि इस स्तर पर जमानत देने से कानून का शासन कमजोर होगा। कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष ने यह ठोस रूप से साबित किया है कि हिरासत में रखकर निगरानी बनाए रखना जरूरी है, ताकि मामले में हस्तक्षेप या गवाहों को डराने-धमकाने की कोई संभावना न रहे।

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