खंडित जनादेश के चलते जम्मू कश्मीर में सरकार गठन को लेकर चल रहे गतिरोध में पीडीपी की ओर से कुछ पहल दिखाए जाने के बाद राज्य के भाजपा नेताओं ने आज यहां केंद्रीय नेतृत्व से विचार विमर्श किया। समझा जाता है कि मुख्यमंत्री के पद, अनुच्छेद 370 और एएफएसपीए जैसे मुद्दों पर केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा की गई।

ताजा स्थिति से केंद्रीय नेतृत्व को अवगत कराने के लिए राज्य से भाजपा के कोर ग्रुप के नेताओं ने यहां पार्टी अध्यक्ष अमित शाह से उनके निवास पर भेंट की। इन नेताओं ने पीडीपी से वार्ता आगे बढ़ाने के बारे में भी विचार विमर्श किया।

पार्टी के महासचिव राम माधव ने इस बात की जानकारी देते हुए संवाददाताओं से कहा, ‘‘पीडीपी की ओर से कुछ पहल दिखाई गई है। इसे आगे बढ़ाने के लिए, हमने पीडीपी के साथ बातचीत के मुद्दों के बारे में विचार विमर्श किया। फिलहाल, इस मामले में कुछ प्रगति हुई है।’’

सूत्रों ने बताया कि 90 मिनट तक चली इस बैठक में पीडीपी और भाजपा के साथ आने की स्थिति में पार्टी के प्रदेश नेताओं और प्रभारियों ने शाह से जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370, आर्मड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (एएफएसपीए) और मुख्यमंत्री के पद जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की।

राज्य के 87 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में पीडीपी को सबसे अधिक 28 और भाजपा को 25 सीट मिली हैं। नेशनल कांफ्रेंस ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीट पाई हैं।

शाह के साथ आज हुई बैठक में माधव के अलावा, केंद्रीय मंत्री जितेन्द्र सिंह, प्रदेश के पार्टी प्रभारी अविनाश राय खन्ना, भाजपा प्रदेश इकाई के प्रमुख जुगल किशोर शर्मा और राज्य के वरिष्ठ नेता निर्मल सिंह तथा बाली भगत आदि उपस्थित थे।

माधव ने हालांकि पीडीपी के साथ अभी कोई स्ट्रक्चर्ड (ठोस) वार्ता होने से इंकार किया और कहा कि फिलहाल अनौपचारिक चर्चाएं हो रही हैं तथा औपचारिक बातचीत बाद में शुरू होगी। शाह से चर्चा करने से पहले माधव ने पार्टी मुख्यालय में भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं से भी भेंट की।

माधव ने कहा, ‘‘मामला आगे बढ़ा है। जब भी हम और आगे बढ़ेंगे, आपको बताएंगे। जम्मू कश्मीर के जनादेश को ध्यान में रखते हुए, हमने वार्ता को आगे बढ़ाने का निर्णय किया है।’’

इस बीच पार्टी के वरिष्ठ नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने एनडीटीवी से बातचीत में अनुच्छेद 370, और एएफएसपीए जैसे मुद्दों को फिलहाल ठंडे बस्ते में डालने का संकेत देते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में मुद्दा यह है कि वहां सरकार गठन के तीन आधार होने चाहिएं और ये हैं–संप्रभुता, विकास के लिए सुशासन और क्षेत्रीय संतुलन।