जम्मू-कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार के गठन की घोषणा जल्द हो सकती है, जिसमें अनुच्छेद 370 और अफस्पा जैसे विवादास्पद मुद्दों को शामिल करते हुए काफी सावधानीपूर्वक तैयार साझा न्यूनतम कार्यक्रम का मसौदा शामिल है। सूत्रों ने बताया कि इसकी घोषणा इस हफ्ते के अंत में या अगले सप्ताह के शुरू में होने की उम्मीद है।
पीडीपी के संरक्षक मुफ्ती मोहम्मद सईद यह कहते रहे हैं कि उनकी पार्टी राज्य से संबंधित मुद्दों पर कोई सौदेबाजी नहीं करेगी। सईद के पूरे छह वर्ष के कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद है।
सईद के इस बयान की राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकारी अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने काफी आलोचना की थी और हाल के राज्यसभा चुनाव और आसन्न विधानपरिषद चुनाव में भाजपा के साथ आकर सौदेबाजी में शामिल होने का आरोप लगाया था।
जम्मू कश्मीर के 87 सदस्यीय विधानसभा में पीडीपी के 28 जबकि भाजपा के 25 विधायक हैं। राज्य में अभी राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। घटनाक्रम से जुड़े करीबी सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्षों ने संभवत: एक समिति गठित करने पर सहमति व्यक्त की है जो सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (अफस्पा) के विषय को देखेगी और ऐसे क्षेत्रों के बारे में सुझाव देगी जहां इसे समाप्त किया जा सकता है।
अनुच्छेद 370 के विषय पर जहां भाजपा ने कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया है। वहीं साझा न्यूनतम कार्यक्रम में यह कहा जा सकता है कि दोनों दल संविधान के दायरे में राज्य के लोगों की आकांक्षाओं का सम्मान करेंगे।
प्रस्तावित साझा न्यूनतम कार्यक्रम में पश्चिमी पाकिस्तान के 25 हजार शरणार्थी परिवारों के विषय पर भी गौर किया जाएगा और कहा जाएगा कि यह मानवीय मुद्दा है। सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय के बंटवारे को भी अंतिम रूप दिया गया है और पीडीपी को गृह और वित्त मंत्रालय मिल सकता है जबकि भाजपा को पर्यटन, जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग और योजना मंत्रालय।
पीडीपी के दबाव में आने और भाजपा की पार्टी इकाई में व्यग्रता पैदा होने की खबरों के बीच भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर भाजपा नेताओं की बैठक बुलाई है ताकि उनकी चिंताओं को दूर किया जा सके।
मौजूदा हालात:
जम्मू कश्मीर के 87 सदस्यीय विधानसभा में पीडीपी के 28 जबकि भाजपा के 25 विधायक हैं। राज्य में अभी राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है।
समझौते के सूत्र:
* अनुच्छेद 370 के विषय पर जहां भाजपा ने कोई लिखित आश्वासन नहीं दिया है। वहीं साझा न्यूनतम कार्यक्रम में यह कहा जा सकता है कि दोनों दल संविधान के दायरे में राज्य के लोगों की आकांक्षाओं का सम्मान करेंगे।
* सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय के बंटवारे को भी अंतिम रूप दिया गया है और पीडीपी को गृह और वित्त मंत्रालय मिल सकता है जबकि भाजपा को पर्यटन, जल संसाधन, लोक स्वास्थ्य, इंजीनियरिंग और योजना मंत्रालय।