जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 के प्रावधान हटाए जाने के बाद से घाटी में छिटपुट घटनाओं को छोड़ दें तो अभी तक हिंसा की कोई बड़ी घटना सामने नहीं आयी है। खास बात ये है कि कश्मीर के संवेदनशील इलाके सोपोर में भी शांति का माहौल है। हालांकि जब द इंडियन एक्सप्रेस ने सोपोर के स्थानीय लोगों से बात की तो उससे पता चला कि स्थिति उतनी भी शांत नहीं है, जितनी की घाटी में अभी दिखाई दे रही है।
सोपोर के एक स्थानीय युवक ने द इंडियन एक्सप्रेस के साथ बातचीत में बताया कि “हम शांत हैं, लेकिन हमारी खामोशी को हमारा आत्मसमर्पण ना समझा जाए। यह खामोशी सोची-समझी रणनीति के तहत है। वो चाहते हैं कि हम प्रतिक्रिया दें, लेकिन हम ये जानते हैं कि आगे लंबी लड़ाई लड़नी है।”

वहीं एक बुजुर्ग ने कहा कि ‘उन्होंने (सरकार) यहां काफी तैयारी की है, वो चाहते हैं कि हम प्रतिक्रिया दें, लेकिन हमें समझदार होना पड़ेगा और सही वक्त आने का इंतजार करना होगा। हम अपने कदम से उन्हें आश्चर्यचकित कर देंगे।’ सरकार के कदम से सोपोर के लोगों में भारी नाराजगी है और उनका कहना है कि इसका असर बेहद खतरनाक होगा। एक कॉलेज छात्र राशिद नबी ने बताया कि ‘बीते सालों में जब किसी पर्यटक या गैर-कश्मीरी को आतंकियों द्वारा निशाना बनाया जाता था, तो हमें बुरा लगता था, लेकिन अब हमारे लिए यहां आने वाले पर्यटक और गैर-कश्मीरी यहां बस भी सकेंगे!’

बता दें कि सोपोर अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का पैतृक शहर है। शुक्रवार को सुरक्षाबलों ने कश्मीर घाटी में जुमे की नमाज के लिए प्रतिबंधों में कुछ छूट दी थी। हालांकि सोपोर समेत कई संवेदनशील इलाकों में ज्यादा छूट नहीं दी गई।

पाकिस्तान से मदद की उम्मीदः सरकार के फैसले का विरोध कर रहे कश्मीरी लोगों को पाकिस्तान से भी उम्मीदें लगी हुई हैं। लोग चाहते हैं कि पाकिस्तान जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर दखल दे। लोगों का कहना है कि ‘पाकिस्तान के पास इस वक्त कोई चारा नहीं है, या तो वह कश्मीर मामले में दखल दे या फिर वह कश्मीर को भूल जाए।’

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वहीं कुछ लोगों का कहना है कि भारत सरकार का यह फैसला उनके लिए आशीर्वाद भी साबित हो सकता है। लोगों का कहना है कि 50 सालों के बाद जम्मू कश्मीर फिर से अन्तरराष्ट्रीय मुद्दा बना है और दुनियाभर में इस पर बातचीत हो रही है।

वहीं सोपोर के नजदीकी इलाके बारामूला में भी हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। बारामूला के एक स्थानीय निवासी ने बताया कि हम इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि यूएन इस दिशा में क्या कदम उठाता है। यदि कुछ नहीं हुआ तो हम चाहेंगे कि पाकिस्तान यहां हमला करे। स्थानीय युवक के अनुसार, हर दिन मरने से बेहतर है कि एक दिन ही मर जाएं।