जम्मू कश्मीर से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां पर चार लोगों को सेना द्वारा टॉर्चर करने का मामला सामने आया है। इन चारों को कस्टडी में लिया गया था। वहीं अब ग्रामीणों ने बड़ा खुलासा किया है। किश्तवाड़ का क्वाथ गांव पहाड़ की चोटी पर बसा हुआ है। यहां केवल पैदल ही पहुंचा जा सकता है। यहां के लोग हमेशा सेना के साथ संपर्क में बने रहते हैं। जब भी सेना गांव के लोगों को कॉल करती है, तो वह जाते हैं। ऐसे ही 20 नवंबर को भी गांव के चार लोगों को सेना की ओर से फोन आया और उन्हें चास स्थित आर्मी कैंप में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया। इसके बाद गांव वाले बिना कुछ सोच विचार वहां पहुंचे, लेकिन जब वह शाम तक नहीं लौटे तो गांव में उनकी तलाश शुरू हो गई। इसके बाद गांव का ही एक निवासी जो बढ़ई है और उसका नाम इरशाद अहमद है, उसने सेना शिविर के सामने चार लोगों को गिरा हुआ देखा।

वे हिलने-डुलने में असमर्थ थे- इरशाद अहमद

आर्मी अस्पताल में चारों की देखभाल करने वाले इरशाद अहमद ने इंडिया एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, “मैंने दूसरों को बुलाया ताकि हम उन्हें वापस ले जा सकें। वे हिलने-डुलने में असमर्थ थे। जब मैंने उनके कपड़े उठाए तो मैं सुन्न हो गया। उन्हें बेरहमी से पीटा गया था। उनमें से दो को खून की उल्टियां हुईं।” यह सेना के खिलाफ यातना का पहला आरोप है, जिससे उन्हें तेजी से कार्रवाई करने और जांच शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

गुरुवार को एक्स पर एक पोस्ट में 16 कोर भारतीय सेना के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट व्हाइट नाइट कोर की ओर से लिखा, “किश्तवाड़ सेक्टर में आतंकवादियों के एक समूह की चाल की विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर 20 नवंबर को राष्ट्रीय राइफल्स द्वारा ऑपरेशन शुरू किया गया था। ऑपरेशन के संचालन के दौरान नागरिकों के साथ कथित दुर्व्यवहार पर कुछ रिपोर्ट हैं। तथ्यों का पता लगाने के लिए जांच शुरू की जा रही है। आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।” वहीं जम्मू में रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि वह किश्तवाड़ से अपडेट मिलने के बाद अधिक जानकारी साझा करेंगे।

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ग्रामीणों ने बताई कहानी

क्वाथ 250 से अधिक घरों वाला गांव है और गाड़ी चलाने लायक सड़क से डेढ़ घंटे की दूरी पर है। चास में सेना का शिविर क्वाथ से एक घंटे की दूरी पर एक पहाड़ पर पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि चास से क्वाथ तक उन्होंने बारी-बारी से चार लोगों 40 वर्षीय मेहराज, 33 वर्षीय सज्जाद अहमद, 35 वर्षीय अब्दुल कबीर और 36 वर्षीय मुश्ताक अहमद को अपने कंधों पर उठाया। चारों मजदूरी करते हैं। एक निवासी दाऊद अहमद ने कहा कि एक बार जब वे गांव पहुंचे, तो उन्होंने फैसला किया कि उन लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत है। निवासियों का कहना है कि यह उस समय की बात है जब उन्हें सेना से फोन आया था। अहमद ने दावा किया, “एक अधिकारी ने यह कहने के लिए फोन किया कि वे इस मुद्दे को सुलझा लेंगे।”

हालांकि निवासियों ने उन लोगों को इलाज के लिए अपने दम पर किश्तवाड़ अस्पताल ले जाने का फैसला किया। मेहराज के ससुर गुलाम मोहम्मद ने कहा, “हमने उनसे कहा कि हमारी पहली प्राथमिकता उनकी जान बचाना है। उनके पैरों, पसलियों और पीठ पर पिटाई की गई थी। उनमें से एक की आंख में चोट लगी थी।”

जब तक ग्रामीण निवासी गांव पहुंचे, जहां से उन्हें अस्पताल के लिए वाहनों में सवार होना था, दो ग्राम रक्षा गार्ड (VDG) उनके पास आए। दाऊद ने दावा किया, “उन्होंने हमसे एफआईआर के लिए दबाव नहीं डालने को कहा और कहा कि वे इस मुद्दे को सुलझा लेंगे।” ग्रामीणों ने दावा किया कि वे आठ गाड़ियों में सवार हुए, लेकिन इस बार पुलिस ने उन्हें दादपेठ में फिर से रोक दिया। दाऊद ने दावा किया, ”एसएचओ साहब ने हमें बताया कि वे पीड़ितों को चटरू अस्पताल में भर्ती कराएंगे और सेना के खिलाफ कार्रवाई करेंगे। हमने उन्हें बताया कि अस्पताल में अच्छी सुविधाएं नहीं हैं और हम उन लोगों को किश्तवाड़ अस्पताल ले जाएंगे। उन्होंने हमें नहीं रोका।”

पीड़ितों को अपने कंधों पर ले गए ग्रामीण

ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने गाड़ियों को पीछे छोड़ दिया और पीड़ितों को फिर से अपने कंधों पर ले लिया। दाऊद ने दावा किया, “जैसे ही हमने बैरियर पार किया, अधिकारी आ गया। वह सीधे शिविर में चला गया।” वार्ता का नेतृत्व करने वाले क्वाथ के पूर्व पंच बशीर अहमद ने दावा किया, “जैसे ही हमने आगे बढ़ने की कोशिश की, हमें फोन आया कि वह हमसे मिलना चाहते है। उन्होंने (अधिकारी) स्वीकार किया कि हमारे साथ अन्याय हुआ है और वादा किया कि ऐसा दोबारा कभी नहीं होगा। उन्होंने प्रत्येक पीड़ित को 25,000 रुपये देने और तीन महीने तक या जब तक वे काम पर वापस लौटने में सक्षम नहीं हो जाते, उनके परिवारों का खर्च वहन करने का वादा किया। उन्होंने वादा किया कि वे उनका इलाज आर्मी अस्पताल में करेंगे और जरूरत पड़ने पर उन्हें श्रीनगर या उधमपुर में ट्रांसफर कर देंगे।

ग्रामीणों का कहना है कि उनके विधायक ने भी सकारात्मक भूमिका निभाई। बशीर ने कहा, “जब हमने नेशनल कॉन्फ्रेंस के इंद्रवाल विधायक पीएल शर्मा को फोन किया, तो वह जम्मू में थे। उन्होंने अपने डीडीसी को हमसे मिलने के लिए भेजा। उन्होंने पुलिस और सेना को फोन किया और वह रात तीन बजे तक हमारे साथ ऑनलाइन थे।” इंद्रवाल विधायक पीएल शर्मा ने कहा कि सेना के अधिकारियों ने उन्हें कार्रवाई का आश्वासन दिया है। उन्होंने कहा, ”मैंने उनसे स्पष्ट रूप से कहा कि यह इस तरह काम नहीं करेगा। मैंने उनसे कहा कि अगर आपको किसी से पूछताछ करनी है तो आपको उसे पुलिस स्टेशन बुलाना चाहिए।” निवासियों ने कहा कि उन्हें सेना से कोई शिकायत नहीं है लेकिन वे उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई चाहते हैं जिन्होंने कथित तौर पर लोगों पर अत्याचार किया। अगली स्टोरी में पढ़ें किश्तवाड़ में भी सेना पर लगे थे आरोप