जम्मू-कश्मीर में जवानों की तैनानी सीमा सुरक्षा के लिए रहती है। पड़ोसी पाकिस्तान की तरफ से जिस तरह से हर बार नापाक हरकतें की जाती हैं, उसे देखते हुए इन्हीं जवानों को अपनी जान की बाजी लगानी पड़ती है। लेकिन भारत के ही कुछ जवानों को फर्जी मुकदमों का सामना करना पड़ता है जिस वजह से सीमा सुरक्षा को छोड़ उन्हें लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ती है।

डूबने से मौत, रेप केस कैसे बना?

असल में साल 2009 में दो महिलाओं के शव मिले थे। जिन डॉक्टरों ने उनका पोस्टमार्टम किया, पाकिस्तान के इशारों पर रिपोर्ट में लिख दिया गया कि भारतीय जवानों ने उन महिलाओं के साथ रेप किया। हत्या का आरोप भी जवानों पर ही मढ़ दिया गया। लेकिन इस मामले की निष्पक्ष जांच के लिए केस सीबीआई को सौंप दिया गया। अब जांच में साफ हो गया है कि जवानों को फर्जी केस में फंसाने की कोशिश हुई थी। असल में उन दोनों महिलाओं की तो डूबने से मौत हुई थी।

अभी के लिए इस मामले में दो डॉक्टर बिलाल अहमद दलाल और निघत शाहीन चिल्लू को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने पाकिस्तान में बैठे लोगों के साथ मिलकर साजिश रची और एक तय रणनीति के तहत भारतीय जवानों को फर्जी केस में फंसाया गया। बड़ी बात ये भी सामने आई है कि 2009 में कश्मीर घाटी में अशांति की स्थिति पैदा करने के लिए और लोगों में गुस्सा लाने के लिए इस फर्जी केस को गढ़ा गया था।

15 साल बाद मिला न्याय

अब ये कोई पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान की नाकाप साजिश को भारत के ही कुछ स्थानीय लोगों का समर्थन मिला हो। लेकिन ऐसे लोगों की संख्या काफी कम है, ऐसे में मंसूबे हर बार फेल हो जाते हैं। इस बार भी जवानों को फर्जी केस में फंसाने की कोशिश रंग नहीं लाई है, ये अलग बात है कि 15 सालों तक जवानों को भी संघर्ष करना पड़ा।