जम्मू में कुछ मकान मालिकों के खिलाफ अपना घर किराए पर देने की वजह से केस दर्ज किया गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पांच मकान मालिकों के खिलाफ जानबूझकर या अनजाने में रोहिंग्या समुदाय के लोगों को घर किराए पर देने का मामला दर्ज किया है। उनमें से दो के खिलाफ नोवाबाद पुलिस स्टेशन में और तीन अन्य के खिलाफ बहू फोर्ट पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया।

जम्मू कश्मीर के इन मकान मालिकों के खिलाफ बीएनएस की धारा 223 (लोक सेवक द्वारा जारी आदेश का पालन न करना) के तहत अलग-अलग FIR दर्ज की गई है। गौरतलब है कि रोहिंग्या म्यांमार से आये शरणार्थी हैं।

पुलिस ने कहा कि जिन रोहिंग्या लोगों को मकान मालिकों ने संपत्ति किराए पर दी थी, वे बिना दस्तावेज के थे और सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते थे। जम्मू पुलिस ने कहा कि इस संबंध में व्यापक जांच शुरू की गयी है।

किरायेदारों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य

पुलिस ने इस कार्रवाई को रोहिंग्या शरणार्थियों की अवैध एंट्री को रोकने और सार्वजनिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। पुलिस ने जम्मू जिला आयुक्त द्वारा जारी आदेश का भी हवाला दिया, जिसमें जिले के सभी संपत्ति मालिकों के लिए किरायेदारों का पुलिस वेरिफिकेशन अनिवार्य कर दिया गया है।

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अधिकारियों ने बताया कि यह निर्देश असामाजिक तत्वों और अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा उत्पन्न संभावित खतरे के संबंध में बढ़ती चिंताओं के मद्देनजर जारी किया गया है, जो किराये के घरों का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों के लिए कर सकते हैं। पुलिस ने कहा कि वे जनता के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने सभी मकान मालिकों से आग्रह किया कि वे मकान किराये पर देने से पहले पूरी सावधानी बरतें तथा किरायेदारों का वेरिफिकेशन कराएं।

दिल्ली हाई कोर्ट का रोहिंग्या शरणार्थियों के बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाने की याचिका पर सुनवाई से इनकार

हाल ही में दिल्ली हाई कोर्ट ने रोहिंग्या शरणार्थियों के बच्चों को स्थानीय स्कूलों में दाखिला दिलाने की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि यह केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र की बात है। हम इस पर फैसला नहीं दे सकते। सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा था कि यह मामला सुरक्षा और राष्ट्रीयता पर प्रभाव डालने वाले अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से संबंधित है, इसलिए याचिकाकर्ता को केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष एक अभ्यावेदन देना चाहिए। पूरी खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें