पूर्व वित्त मंत्री और नरेंद्र मोदी सरकार के कटु आलोचक यशवंत सिन्हा हाल ही में जब कश्मीर गए थे, तब श्रीनगर एयरपोर्ट पर उनके साथ पुलिस वालों ने दुर्व्यवहार किया था। झूठ बोलकर उन्हें जबरन व्हील चेयर पर धकेला था और जबरदस्ती फ्लाइट में बैठाकर दिल्ली भेजा था, जबकि उनके साथ वहां पहुंचे तीन साथियों को लाउंज के कमरे में लॉक कर दिया गया था। सिन्हा ने इस घटना के बारे में विस्तार से ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया।
17 सितंबर की घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया, “मैं कनसंर्ड सिटिजंस ग्रुप से जुड़ा हूं, जो कश्मीर में अमन-चैन के लिए कई सालों से काम कर रही है। 17 तारीख को हमारे ग्रुप का कार्यक्रम बना था। 44वें दिन कार्यक्रम था, जाने का। श्रीनगर एयरपोर्ट पहुंचे। मेरे अलावा चार और लोग थे। वहां एक सज्जन मिले, जिन्होंने खुद को बडगाम का डिप्टी कमिश्नर बताया। फिर लाउंज में बैठे तो उन्होंने बाकी को जाने देने के लिए हां कर दी, पर मुझे मना कर दिया।”
“मैंने उनसे लिखित में कारण पूछा, तो दो घंटे बाद मुझे एक आदेश लाकर दिया। उसमें लिखा था कि मेरे वहां जाने से शांति भंग होगी। मैंने इस पर कहा कि मैं तो आपके जिले में भी नहीं रहूंगा…मैं तो श्रीनगर जा रहा हूं। पर वे माने नहीं। काफी हुज्जत हुई इसी पर। ढाई घंटे बाद मुझे एसपी ने लिखित ऑर्डर देते हुए वापस जाने के लिए कहा। मैंने कहा कि आप गलत आदेश दे रहे हैं। मैं भी कानून जानता हूं। काफी बहस होती रही।”
इसी बीच, शाम 5 बजकर 45 पर आखिरी फ्लाइट निकल रही थी। तभी कुछ लोग आए और कहीं साथ ले जाने के लिए कहा। मेरे पैर में चोट लगी थी, तो वे मुझे व्हील चेयर पर मुझे बैठाया। वे मुझे फ्लाइट की ओर ले जाने लगे, तब मैंने उनका विरोध किया। इसी पर 20-25 पुलिस वालों ने मुझे धकेला और जबदस्ती मुझे फ्लाइट में बैठा दिया। मैंने इस पर उनसे कहा कि आप धोखा कर रहे हैं। वहीं, मेरे तीन साथियों को रिजर्व लाउंज में लॉक कर दिया था। मैं इसे काफी गलत मानता हूं।”
सिन्हा ने यह भी कहा कि उन्हें शक था कि उनके ऐसा कुछ हो सकता है, पर यकीन नहीं था। बता दें कि यशवंत सिन्हा दो बार देश के वित्त मंत्री रह चुके हैं। एक बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में, जबकि उससे पहले चंद्रशेखर के कार्यकाल में। काफी समय तक बीजेपी का हिस्सा रहे, पर 2018 में पार्टी की कार्यशैली और नीतियों को लेकर उन्होंने दल को अलविदा कह दिया था। यही वजह है कि बीते कुछ समय से वह मोदी सरकार के कटु आलोचक हैं।

