आतंकवादियों से संबंध रखने के आरोप में जम्मू कश्मीर प्रशासन ने मंगलवार को एक जेल उपाधीक्षक और एक राजकीय विद्यालय के प्रधानाध्यापक को बर्खास्त कर दिया है। संविधान के अनुच्छेद 311 को लागू करते हुए सरकार ने उनकी सेवाएं समाप्त की हैं। इस अनुच्छेद के तहत बर्खास्त करने से पहले कोई जांच नहीं की जाती है।
ध्यान रहे कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बीजेपी सरकार सख्त कदम उठा रही है। 370 की समाप्ति के बाद प्रमुख नेताओं को इसी आधार पर अरेस्ट किया गया था कि इससे अलगाव वादियों की कमर टूटेगी। हालांकि कश्मीर में फिर से अशांति है। पुंछ में चल रहे ऑपरेशन में सेना के दो अफसरों समेत 9 जवान शहादत दे चुके हैं। आतंकी नागरिकों की हत्या भी ताबड़तोड़ कर रहे हैं।
जेल विभाग में उपाधीक्षक फिरोज अहमद लोन और दक्षिण कश्मीर में बिजबेहरा स्कूल के प्राचार्य जावेद अहमद शाह को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया है। इस साल विशेष प्रावधानों के तहत बर्खास्त कर्मचारियों की संख्या 29 हो गई है। लोन को 2007-08 में जेल विभाग में नियुक्त किया गया था। लोन पर आतंकी समूहों के लिए काम करने का आरोप लगाया गया था। हालांकि, लंबे अदालती मामले के बाद आखिरकार 2012 में लोन को नौकरी मिल गई थी। लेकिन एनआईए ने लोन को 2017 में गिरफ्तार किया था।
आरोप के मुताबिक, हिजबुल कमांडर रियाज नाइकू के इशारे पर लोन ने दो युवकों दानिश गुलाम लोन और सोहैल अहमद भट की गिरफ्तार आतंकवादी इशफाक पल्ला से मुलाकात कराई थी। साजिश के तहत दोनों युवकों को पाकिस्तान जाकर हथियारों का प्रशिक्षण लेना था और फिर कश्मीर लौटना था। हालांकि, उनके पाकिस्तान जाने से पहले ही पुलिस ने दोनों को 2017 में पकड़ लिया। मामले को एनआईए ने अपने पास में ले लिया। पूछताछ के दौरान युवकों ने लोन का नाम लिया जिसे एनआईए ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था।
NIA के अनुसार शाह पर आतंकवादियों का कट्टर समर्थक तथा हुर्रियत और प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी के प्रति सहानुभूति रखने का आरोप है। शाह पर 2016 के आंदोलन के दौरान बिजबेहरा में काम कर रहे हुर्रियत सदस्यों के सलाहकार की भूमिका निभाने का भी आरोप है। शाह ने अपने आधिकारिक पद का खुले तौर पर दुरुपयोग किया। शाह पर छात्राओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए प्रयास करने का भी आरोप है।