जम्मू-कश्मीर में दूसरे और तीसरे चरण के चुनाव के लिए प्रचार जोर-शोर से चल रहा है लेकिन दूसरे चरण के चुनाव में 238 उम्मीदवारों में से 49 उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से 37 उम्मीदवारों के खिलाफ बेहद गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। यह बात एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफ़ॉर्म्स (एडीआर) की एक रिपोर्ट से सामने आई है।
एडीआर ने इन उम्मीदवारों के हलफनामों का अध्ययन किया है।
पहले चरण में हुआ 60% मतदान
जम्मू-कश्मीर में पहले चरण का चुनाव हो चुका है और इसमें 60% मतदान हुआ है। यह पिछले सात विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा है। पहले चरण के मतदान के दौरान मतदान पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा और किसी भी तरह की अप्रिय खबर सामने नहीं आई।
पहले चरण में 24 सीटों पर मतदान हुआ जबकि दूसरे चरण में 26 सीटों पर और तीसरे चरण में 40 सीटों पर वोटिंग होनी है। राज्य में 8 अक्टूबर को मतों की गिनती का काम होगा।
एडीआर के मुताबिक, तीन उम्मीदवार ऐसे हैं जिन्होंने अपने हलफनामे में बताया है कि उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 307 (हत्या के प्रयास) का मुकदमा है जबकि सात उम्मीदवार ऐसे हैं जिनके खिलाफ महिलाओं से जुड़े अपराध में केस दर्ज है। इन सात उम्मीदवारों में से एक उम्मीदवार के खिलाफ दुष्कर्म का मुकदमा है।
एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक पीडीपी के 26 उम्मीदवारों में से चार, बीजेपी के 17 उम्मीदवारों में से तीन, कांग्रेस के 6 उम्मीदवारों में से दो और नेशनल कांफ्रेंस के 20 उम्मीदवारों में से एक ने अपने शपथ पत्र में आपराधिक मामलों के बारे में जानकारी दी है।
दूसरे चरण में जिन 26 सीटों पर चुनाव होना है उनमें से 8 (31%) सीट रेड अलर्ट वाली हैं। रेड अलर्ट वाली सीटें वे होती हैं जहां तीन या तीन से अधिक उम्मीदवारों ने अपने खिलाफ आपराधिक मुकदमे होने के बारे में जानकारी दी है।
एडीआर की रिपोर्ट स्पष्ट रूप से कहती है कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में उम्मीदवारों के चयन में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का राजनीतिक दलों ने कोई ध्यान नहीं रखा है। उन्होंने पुरानी परिपाटी पर चलते हुए लगभग 21% ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
कुल मिलाकर दूसरे चरण में सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने 5% से 33% तक ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया है जिनके खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।
क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी, 2020 को दिए गए दिशा-निर्देशों में स्पष्ट रूप से कहा था कि राजनीतिक दल ऐसे उम्मीदवारों को चुनने की वजह बताएं जिनके खिलाफ मुकदमे दर्ज हैं और यह भी बताएं कि ऐसे लोगों को उम्मीदवार क्यों नहीं बनाया गया जिनके खिलाफ आपराधिक केस नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने दिशा-निर्देशों में कहा था कि उम्मीदवारों के चयन का का आधार उनकी योग्यता, उपलब्धियां और मेरिट होनी चाहिए।
चुनाव प्रणाली में सुधार के लिए तैयार नहीं राजनीतिक दल
एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन आंकड़ों से पता चलता है कि राजनीतिक दल चुनाव प्रणाली में सुधार के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं और हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को बार-बार ऐसे लोगों के हाथों से गुजरना पड़ता है जो कानून तोड़ने वाले हैं और बाद में यही लोग कानून बनाने वाले बन जाते हैं।