पाकिस्तान पोषित आतंकवाद से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर में पड़ोसी मुल्क से नशीले पदार्थों की तस्करी बढ़ गई है। कुछ इलाकों में सुरंग और कहीं-कहीं ड्रोन के जरिए भारत में विस्फोटक और हथियार व गोला-बारूद के साथ ही नशीले पदार्थ भेजे जा रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल की रिपोर्ट है कि नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार से ड्रोन की गतिविधियां दोगुनी हो गई हैं।
जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर बड़ी मात्रा में तारों की घेराबंदी की गई है और इसमें भूकंपीय से लेकर थर्मल, इमेज इंटेंसिफायर से लेकर मूवमेंट को ट्रैक करने वाले सभी तरह के सेंसर लगे हैं। संचार की इलेक्ट्रानिक निगरानी भी की जाती है। जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर सेना के साथ सुरक्षा की कई और परतें भी हैं।
हथियारों और आतंकवादियों की घुसपैठ मुश्किल होने की वजह से पाकिस्तान अब कश्मीर के नौजवानों को तबाह करने के लिए नशीले पदार्थों की तस्करी कराने में जुट गया है। अनुच्छेद 370 और 35ए को रद्द किए जाने के तीन साल बाद जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद सबसे कम स्तर पर है। वर्ष 2019 के आखिर में सक्रिय उग्रवादियों की संख्या 250 थी, जो जनवरी 2023 में घटकर महज 100 से कुछ ज्यादा है। सुरक्षा एजंसियों ने वर्ष 2022 में पाकिस्तान द्वारा तैयार 146 आतंक के माड्यूल का भंडाफोड़ किया है।
हथियारों और आतंकवादियों की घुसपैठ मुश्किल होने की वजह से पाकिस्तान अब कश्मीर के नौजवानों को तबाह करने के लिए नशीले पदार्थों की तस्करी कराने में जुट गया है। घाटी के भीतर आतंकवाद को वित्तीय मदद देने के लिए नशीले पदार्थ (नारकोटिक्स) पाकिस्तान का नया हथियार बन गया है और जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह ने नारकोटिक्स को केंद्र शासित प्रदेश के सामने सबसे बड़ी चुनौती बताया है।
ऐसे में कश्मीर घाटी धीरे-धीरे उत्तरी भारत में नशीले पदार्थों का केंद्र बन रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, यहां 67 हजार से ज्यादा नशाखोर हैं, जिनमें से 90 फीसद को हेरोइन की लत है। 33 हजार से ज्यादा नशाखोर सिरिंज का रोजाना इस्तेमाल करते हैं। घाटी के कुपवाड़ा और बारामूला जिलों के जरिए पाकिस्तान के द्वारा लगातार ड्रग्स की घुसपैठ कराने की वजह से कम उपयोग किए जाने वाले दूसरे नशीले पदार्थ जैसे कि ब्राउन शुगर, कोकीन और मारिजुआना भी घाटी के भीतर और यहां तक कि जम्मू के कुछ हिस्सों में भी बड़ी आसानी से उपलब्ध हैं।
लगभग ढाई फीसद आबादी के द्वारा नशीले पदार्थों के सेवन के साथ कश्मीर देश में नशीले पदार्थों से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र बन गया है। इस मामले में कश्मीर पंजाब से भी आगे है, जहां खबरों के मुताबिक, 1.2 फीसद आबादी नशे की लत से प्रभावित है। नवंबर 2022 में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में आयोजित राज्य स्तरीय नारकोटिक्स समन्वय समिति की बैठक में उजागर हुआ कि जम्मू-कश्मीर में कम-से-कम छह लाख निवासी नशीले पदार्थों से जुड़े मुद्दों से प्रभावित हैं।
दिसंबर 2022 में पुलिस ने पाकिस्तान आधारित एक नारकोटिक्स माड्यूल का भंडाफोड़ करके 17 लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें पांच पुलिसकर्मी और कुछ राजनीतिक कार्यकर्ता शामिल थे। वर्ष 2022 में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रापिक सब्सटांसेज (एनडीपीएस) एक्ट के तहत पुलिस ने 1021 मामले दर्ज कर 1700 तस्करों को गिरफ्तार किया। इनमें 138 कुख्यात तस्कर शामिल हैं। वर्ष 2022 में सुरक्षा एजंसियों ने बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित सामान जब्त किया। इनमें 212 किलोग्राम चरस, 56 किलोग्राम हेरोइन, 13 किलोग्राम बाउन शुगर, 4.355 टन पापी स्ट्रा और 1.567 टन फुक्की शामिल हैं।
रोकथाम के उपाय
स्थानीय प्रशासन ने नशा-मुक्त भारत अभियान भी शुरू किया है। प्रशासन ने वर्ष 2019 से उग्रवाद की गतिविधियों के लिए नशा-आतंकवाद के जरिए जुटाए गए पैसों को रोकने के लिए नशे की तस्करी में शामिल लोगों की अचल संपत्ति को जब्त एवं कुर्क करने की योजना बनाई। सामाजिक उदासीनता, कश्मीर के परंपरागत सामाजिक नियंत्रण के तौर-तरीकों के कमजोर होने और वरिष्ठ नागरिकों, सिविल सोसायटी एवं ग्राम स्तर की समितियों की चुप्पी की वजह से इस अभियान को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।