प्रदीप कौशल।

जम्मू और कश्मीर में विधानसभा भंग होने के बाद बुधवार रात से गुरुवार तक जितना भी भयंकर राजनीतिक ड्रामा हुआ हो। मगर राज्यपाल सत्यपाल मलिक का यह फैसला कानूनन गलत नहीं है। यह दावा संविधान से जुड़े विशेषज्ञों ने किया है। हालांकि, कुछ जानकार इस कदम को दूसरे दृष्टिकोण से देखते हैं। जाने-माने संविधानविद् और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप ने कहा, “राज्यपाल को लगेगा कि वहां स्थाई सरकार नहीं बन सकती, तो फिर यह भंग ठीक है। संविधान उन्हें विस भंग करने और ताजा चुनाव कराने का अधिकार देता है।”

यह पूछे जाने पर- राज्यपाल के फैसले को चुनौती मिलेगी, तब क्या होगा? कश्यप बोले, “कोर्ट का दरवाजा तो कोई भी खटखटा सकता है। पर यह कोर्ट पर निर्भर करता है कि वह क्या करेगा। हालांकि, मुझे नहीं लगता कि इस मामले में राज्यपाल की गलती मानी जाएगी। राजनीति जो भी हो, राज्यपाल ने कुछ भी ऐसा नहीं किया है, जिसे असंवैधानिक करार दिया जा सके।”

वहीं, पीडीटी आचार्य भी लोकसभा के पूर्व महासचिव रह चुके हैं। उनके मुताबिक, “राज्यपाल का विस भंग करने का निर्णय साफ दर्शाता है कि वह राज्य में कोई सरकार नहीं बनने देना चाहते हैं। मुझे इस बारे में सभी तथ्य नहीं मालूम हैं। मगर जो कुछ सामने आ रहा है, उसके आधार पर यह साफ है कि राज्यपाल का यह कदम तब आया है, जब विपक्षी दल मिलकर गठबंधन की सरकार बनाना चाह रहे हैं।”

बकौल आचार्य, “राज्यपाल शासन एक अस्थाई व्यवस्था होती है। यह तब तक लागू रहती है, जब तक राज्य में कोई स्थाई सरकार नहीं बन जाती।” उन्होंने यह भी कहा, “राज्यपाल ने यह स्थिति तलाशनी चाहिए थी। मुझे समझ में नहीं आता कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया?” राज्यपाल के फैसले को लेकर वह आगे बोले- मुझे नहीं पता कि मलिक ने अपने फैसले के पीछे क्या वजहें बताईं। मगर उनके इस कदम से साफ है कि राज्य में मौजूदा समय व उसके बाद कोई स्थाई सरकार नहीं बन सकती।