भारत में देश की छवि बिगाड़ने की सियासी साजिश चल रही है। यह बात विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में कही है। वास्तविकता और राजनैतिक कारणों से गढ़े जा रहे बिम्बों और किस्सों में बड़ा फर्क है। विदेश मंत्री इन दिनों अमेरिका में हैं। यह बात उन्होंने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जनरल एचआर मैक्मास्टर के साथ खुले मंच पर हुए वार्तालाप के दौरान कही।
जनरल मैक्मास्टर ने हिन्दुत्व का जिक्र किया था। उनका सवाल था कि क्या हिन्दुत्व के कारण भारतीय लोकतंत्र का धर्म निरपेक्ष छवि प्रभावित नहीं हो रही है? इसी से जुड़ा दूसरा सवाल था कि कोविड महामारी के दौरान वहां की राजनीति क्या मोड़ ले रही है? यह भी कि क्या भारत के मित्रों का हाल के इन रुझानों के कारण चिंता करना गलत है? जवाब में जयशंकर ने कहा कि भारत की छवि को एक खास तरह से पेश करने की राजनीतिक साजिश हो रही है। गलत छवियां, कहानियां गढ़ी जा रही हैं। लेकिन सच इस सबके विपरीत है।
उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के भारत इस वक्त बेहद तनाव भरे समय से गुजर रहा है। हम लोगों को फ्री भोजन दे रहे हैं। पिछले साल कई माह दिया था और कोरोना की दूसरी लहर में इस वक्त दोबारा दे रहे हैं। यह फ्री फूड भी करोड़ दो करोड़ को नहीं, 80 करोड़ लोगों को! यही नहीं चालीस करोड़ लोगों के खातों में रकम भी डाल रहे हैं।
यह सब हम चुपचाप, गुमनामी में कर रहे हैं। उन्होंने अमेरिका के पूर्व एनएसए को ध्यान दिलाया कि मदद पाने वालों की संख्या अमेरिका की कुल आबादी से भी ज्यादा है। उन्होंने कहा कि मदद का यह काम बिना किसी भेदभाव के हो रहा है। हम भारतीय अपने लोकतंत्र को लेकर विश्वास से भरे हैं। भारत एक अत्यंत बहुलता भरा देश है। जयशंकर ने कहा कि भारत में पहले वोट बैंक पॉलिटिक्स पर बड़ा आसरा किया जाता था। मौजूदा सरकार राजनीति के इस तरीके से हट गई है। यह बड़ा बदलाव है।
उन्होंने कहा कि भारत में अनेक मजहबों को मानने वाले रहते हैं। पूरी दुनिया में ऐसे समूह कल्चर और पहचान के लिए एक दूसरे के साथ जुड़े रहते हैं। हमारे समाज में सेकुलरिज़्म का मतलब होता है सभी मजहबों का बराबर सम्मान। भारत में आज जो हो रहा है उसे कई कोणों से देखने की जरूरत है। हमारे यहां लोकतंत्र की जड़ें और गहराई में जा रही हैं। राजनीति में ज्यादा वर्गों की नुमाइंदगी है। देशवासी अपनी संस्कृति, भाषा और विश्वासों को लेकर अब आत्मविश्वास से लबरेज हैं।…वह वर्ग आगे आ रहा है जो अंग्रेजीदां या इलीट नहीं है। ये बातें हमारे मजबूत होते लोकतंत्र की द्योतक हैं।