मोदी 2.0 मंत्रिमंडल में एस जयशंकर की अलग से एंट्री ने सभी को चौंकाकर रख दिया। वैसे जयशंकर से पहले भी एक शख्स भारत सरकार के कैबिनेट में सीधी एंट्री पा सकता था। लेकिन, कुछ कारणों और संशयों को देखते हुए ऐसा मुमकिन नहीं हो पाया। सोनिया सिंह द्वारा लिखी किताब ‘डिफाइनिंग इंडिया: थ्रू देयर आइज’ में दावा किया गया है कि राहुल गांधी ने यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान इनफोसिस के सह-संस्थापक नंदन नीलेकणि को सीधे रक्षा मंत्री बनने का ऑफर दिया था।

किताब में नंदन नीलेकणि के कथन का हवाला दिया गया है, जिसमें बताते हैं कि कैसे एक फॉन कॉल से ममनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल में शामिल होने का सिलसिला शुरू हुआ। नीलेकणि के मुताबिक, ” 2009 में राहुल गांधी ने मुझे फोन किया। परिणाम (चुनाव नतीजे) घोषित होने के दिन, जिसमें कांग्रेस ने पहले से ज्यादा सीटें जीत ली थीं, मुझे फोन आया। 206 सीटों के साथ कांग्रेस की यह अप्रत्याशित जीत थी। उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या मैं भारत का मानव संसाधन विकास (HRD) मंत्री बनने के लिए इच्छुक हूं?” नीलेकणि के मुताबिक उन्होंने इस संबंध में इनफोसिस के साथियों से बात की और दोस्तों ने बताया कि मंत्री पद लेना सही होगा। लेकिन, कुछ घटनाएं ऐसे हुईं जो नीलेकणि के लिए भी नई थीं। किताब के मुताबिक नीलेकणि कहते हैं, “शपथ समारोह के दिन मैं बेंगलुरू में था। अब मुझे यह फंडा पता नहीं था कि राजनीति में आपको दिल्ली के ईर्द-गिर्द डंटे रहना होता है और अपने नाम के ऐलान होने का इंतजार करना होता है। दिन के 11 बजे मुझसे पूछा गया कि क्या मैं दिल्ली में हूं।”

एनडीवी में छपे किताब के अंश के मुताबिक नीलेकणि से शाम के 5 बजे तक दिल्ली पहुंचने के लिए कहा गया। लेकिन, उनके पास न तो प्राइवेट जेट था और ना ही एयरपोर्ट से तुरंत फ्लाइट लेने की सुविधा मौजूद थी। हालांकि, उन्होंने एक बार के लिए तत्कालीन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एसएम कृष्णा जो खुद कैबिनेट मंत्री पद का शपथ लेने बंगलुरू से दिल्ली जा रहे थे, उनके साथ भी जाने का विचार किया। लेकिन, उनके घर तक पहुंचने में देरी भी एक बड़ी वजह बनी। नीलेकणि ने इस दौरान राहुल गांधी से संपर्क करने की कोशिश काफी। आखिर में राहुल गांधी का फोन आया और उन्होंने कहा, “माफी चाहूंगा, आपको शामिल नहीं किया जा रहा है।”

नीलेकणि ने किताब में इस प्रकरण पर अपनी राय दी है। उन्होंने खुद को टीम से बाहर किए जाने पर कहा कि शायद सोनिया गांधी को लगा होगा कि वह एक कॉरपोरेट आदमी हैं और गरीबों की समस्याओं को नहीं समझ सकते। वहीं, मनमोहन सिंह को लगा होगा कि मैं एक टेक्नोक्रैट हूं लिहाजा एचआरडी मंत्रालय मेरे लिए काफी राजनैतिक हो जाएगा। उन्हें बताया कि उन्हें मंत्रालय में शामिल करने का विचार राहुल गांधी का था, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया।